संसद ने खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025 पारित कर दिया है। राज्यसभा ने आज इसे मंजूरी दे दी। लोकसभा पहले ही इस विधेयक को पारित कर चुकी है। यह विधेयक खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 में और संशोधन करेगा। विधेयक में प्रावधान है कि पट्टाधारक मौजूदा पट्टे में अन्य खनिजों को शामिल करने के लिए राज्य सरकार को आवेदन कर सकते हैं। महत्वपूर्ण और कार्यनीतिक खनिजों, तथा अन्य निर्दिष्ट खनिजों को शामिल करने के लिए कोई अतिरिक्त राशि का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। इनमें लिथियम, ग्रेफाइट, निकल, कोबाल्ट, सोना और चांदी जैसे खनिज शामिल हैं। यह अधिनियम देश में खनिज अन्वेषण के वित्तपोषण के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की स्थापना करता है। यह विधेयक ट्रस्ट के दायरे को विस्तृत करते हुए खानों और खनिजों के विकास के लिए भी धन उपलब्ध कराता है। अधिनियम के तहत, कैप्टिव खानों को अंतिम उपयोग की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद, एक वर्ष में उत्पादित खनिजों का 50 प्रतिशत तक बेचने की अनुमति है। यह विधेयक खनिजों की बिक्री की सीमा को हटाता है। विधेयक में खनिज एक्सचेंजों के पंजीकरण और विनियमन के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है।
विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए, कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि सरकार ने खनन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप कोयला और खनिजों का उत्पादन बढ़ा है। उन्होंने कहा कि खदानों के पारदर्शी आवंटन के कारण राज्यों को केंद्र से छह लाख 85 हज़ार करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जो दस साल पहले मात्र 68 हज़ार करोड़ रुपये थे। उन्होंने कहा कि भारत दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा कोयला उपभोक्ता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश का कोयला उत्पादन पहली बार एक अरब टन को पार कर गया है। मंत्री ने कहा कि सरकार महत्वपूर्ण खनिजों की खोज के लिए भी प्रयास कर रही है और उसने 24 महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान की है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के लिए 32 हज़ार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इससे पहले, विधेयक पेश करते हुए, मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2014 से पहले खनन क्षेत्र में मौजूद भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये संशोधन भारत को खनिजों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
चर्चा में भाग लेते हुए, भाजपा के डॉ. भीम सिंह ने कहा कि सरकार ने पिछले 11 वर्षों में खनन क्षेत्र में सुधार लाने के लिए परिवर्तनकारी कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। शिवसेना के मिलिंद मुरली देवड़ा ने ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए दुर्लभ मृदा पदार्थों में निवेश की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी खदानों तक सीधी पहुँच सुनिश्चित करेगा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि यह विधेयक एक कोष बनाएगा जो देश में उपलब्ध महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और मानचित्रण में मदद करेगा।