भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में पिछले दस वर्षों में 165 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। राज्यसभा में अपने मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2014 में 76 गीगावाट से बढ़कर 2024 में 203 गीगावाट हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में भारत का विश्व में चौथा स्थान है। श्री जोशी ने कहा कि पिछले दस वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में लगभग सात लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
श्री जोशी ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024-25 में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सूर्य घर, प्रधानमंत्री कुसुम और नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी योजनाओं के लिए एक लाख 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के अमर पाल मौर्य ने कहा कि सरकार ने करोड़ों परिवारों को एलईडी बल्ब उपलब्ध कराए हैं, जिससे 45 अरब यूनिट ऊर्जा की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि अब तक एक करोड़ 28 लाख से अधिक परिवार सोलर रूफटॉप योजना के लिए पंजीकरण करा चुके हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की डॉ फौजिया खान ने कहा कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बजट में विभाग के कुल बजट का लगभग 85 प्रतिशत आवंटित करके सौर ऊर्जा पर जोर दिया गया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संदोश कुमार ने आरोप लगाया कि सरकार के दृष्टिकोण में विरोधाभास है क्योंकि एक तरफ सरकार नई और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है और साथ ही वे पारंपरिक ऊर्जा को भी बढ़ावा दे रही है।
असम गण परिषद के बीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दस वर्षों में बिजली उत्पादन 79 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है। बहुजन समाज पार्टी के रामजी ने कहा कि सौर ऊर्जा बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन यह अभी भी बहुत महंगी है। उन्होंने कहा कि एक किलोवाट सौर ऊर्जा पैदा करने में एक लाख रुपये का खर्च आता है।