भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन – इसरो ने आत्मनिर्भरता अभियान के अंतर्गत पीएसएलवी के चौथे चरण में नोजल बनाने के लिए आयातित कोलुम्बियम सामग्री के स्थान पर एक वैकल्पिक सामग्री विकसित की है। स्वदेशी रूप से विकसित नोजल स्टेललाइट से बनाया गया है। यह वैकल्पिक सामग्री कोबाल्ट धातु से बनी है जिसमें क्रोमियम, निकल, टंगस्टन और इस्पात का मिश्रण किया गया है। परीक्षण में पाया गया है कि स्टेललाइट से बना नोजल एक हजार एक सौ पचास डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान पर भी मजबूती बरकरार रखता है।
इसरो ने इस संबंध में पहले तीन परीक्षण किए हैं और अंतिम परीक्षण आठ अप्रैल को किया गया जो पूरी तरह से सफल रहा। यह उच्च ताप परीक्षण छह सौ 65 सैकंड तक चला। यह परीक्षण तमिलनाडु में महेन्द्रगिरि के इसरो परिसर में किया गया। पीएसएलवी का नोजल स्टेललाइट से बनाने से आयातित कोलुम्बियम सामग्री की तुलना में 90 प्रतिशत की बचत होगी।
इसरो ने महेन्द्रगिरि परिसर में मानव को अंतरिक्ष में ले जाने वाले इंजन विकास का भी सफल परीक्षण किया। यह इंजन गगनयान अभियान में प्रयोग होगा। विकास इंजन देश में निर्मित किया गया है और इसका नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।