इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की क्षमता का उपयोग करने के भारत के दृष्टिकोण का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण करना है। नई दिल्ली में आज ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए श्री वैष्णव ने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी हर किसी के लिए सुलभ होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही भारत एआई मिशन लॉन्च करेगी, जिसकी लागत 10 हजार करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से 10 हजार या अधिक ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट जीपीयू के एआई कंप्यूट बुनियादी ढांचे में निवेश करेगी। श्री वैष्णव ने यह भी बताया कि एक एआई नवाचार केंद्र स्थापित किया जाएगा जो उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
यह शोधकर्ताओं और स्टार्टअप के प्रयासों को और अधिक मूल्यवर्धक बना सकता है। श्री वैष्णव ने कहा कि सरकार जोखिमों से निपटने के लिए सुरक्षा उपायों को लागू करने पर ध्यान देने के साथ एआई को विनियमित करने के लिए कानून बनाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि समस्याओं को सुलझाने के लिए एआई एक बहुत बड़ा साधन हो सकता है लेकिन संबंधित जोखिमों को भी नियंत्रित करने की जरूरत है।
जापान के मंत्री हिरोशी योशिदा, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद, प्रौद्योगिकी सचिव एस. कृष्णन, नैसकॉम के अध्यक्ष देबजानी घोष, ओपन एआई के उपाध्यक्ष श्रीनिवास नारायणन ने उद्घाटन सत्र में बात की।
दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में एआई अनुप्रयोग, इसकी कार्यप्रणाली के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहन चर्चा और प्रतिभा के पोषण तथा एआई नवाचारों को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए सत्रों की एक विविध श्रृंखला शामिल है।