सर्वोच्च न्यायालय ने आज पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा के मद्देनजर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। मामले को तत्काल सूचीबद्ध और निर्देश देने की मांग का उल्लेख जस्टिस बी.आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष किया गया। याचिकाकर्ता ने अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती और संविधान के अनुच्छेद 355 को लागू करने की मांग की।
इसके जवाब में जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायालय पर पहले से ही कार्यकारी और विधायी कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया जा रहा है। यह टिप्पणी हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्यपाल और राष्ट्रपति को राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को निर्धारित समयसीमा के भीतर मंजूरी देने के निर्देश को लेकर उठे विवाद के संदर्भ में थी। संविधान का अनुच्छेद 355 प्रत्येक राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाने तथा प्रत्येक राज्य की सरकार को संविधान के प्रावधानों के अनुसार चलने की आजादी देता है। पहले से ही लंबित एक मामले में एक आवेदन के रूप में दायर की गई वर्तमान याचिका में मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने की मांग की गई है।