प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि सरकार ऐसी गतिशील व्यवस्था बनाने पर ध्यान देना जारी रखेगी, जहां प्रत्येक आकांक्षी उद्यमी को ऋण सुविधा उपलब्ध हो और वह विश्वास के साथ आगे बढ़ सके। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर सोशल मीडिया पोस्ट पर श्री मोदी ने कहा कि इस योजना ने अनेक लोगों के सपनों को साकार किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा योजना के लाभार्थियों में से पचास प्रतिशत अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के समुदायों से हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना की 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मुद्रा ऋण आत्म-सम्मान, प्रतिष्ठा और अवसर लेकर आता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना ने वित्तीय समावेश के साथ साथ सामाजिक समावेश और आर्थिक स्वतंत्रता भी सुनिश्चित की है।
प्रधानमंत्री ने इस योजना के लाभार्थियों के साथ अपने निवास पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना ने असंख्य लोगों को अपने उद्यमिता कौशल दिखाने के अवसर उपलब्ध कराए हैं। इस योजना के तहत देश भर में बिना किसी गारंटी के 33 लाख करोड़ रूपये का ऋण उपलब्ध कराया है। यह योजना किसी भी सरकार के लिए आंखे खोलने वाली है। उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक आम नागरिकों को विश्वास से भरना ही सरकार का लक्ष्य है।
लाभार्थियों के साथ बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा योजना देश के युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने का साहस देने के इरादे से शुरू की गई। उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य युवाओं को सशक्त बनाना, उन्हें विश्वास तथा आत्मविश्वास से भरना तथा रोजगार मांगने वालों के बजाय रोजगार देने वाले बनने की क्षमता प्रदान करना है।
इस दौरान लाभार्थियों ने प्रधानमंत्री को अपने उद्यमिता अनुभव सुनाए। रायबरेली से एक लाभार्थी ने कहा कि मुद्रा योजना ने उसका जीवन पूरी तरह बदल दिया है। भोपाल से एक लाभार्थी ने कहा कि इस योजना ने उसे नौकरी छोड़कर अपना व्यवसाय शुरू करने का विश्वास दिया।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना सूक्ष्म और छोटे उद्यमों को 20 लाख रुपये तक का ऋण बिना गारंटी प्रदान करती है। पिछले दस वर्षों में इस योजना के तहत 52 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत किए गए हैं, जिनकी राशि लगभग 33 लाख करोड़ रुपये है।
तमिलनाडु ने सबसे अधिक राशि वितरित की है, इसके बाद उत्तर प्रदेश और कर्नाटक का स्थान है। जम्मू कश्मीर केन्द्रशासित प्रदेशों में अग्रणी है।
मुद्रा योजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है, और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत में समावेशी उद्यमिता को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका को मान्यता दी है।