प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत का इस्पात उद्योग अपने भविष्य के बारे में नए आत्मविश्वास से भरा हुआ है। श्री मोदी ने आज मुंबई में भारत इस्पात – छठे अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय इस्पात नीति के अंतर्गत निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का उद्देश्य वर्ष 2030 तक देश का इस्पात उत्पादन 30 करोड टन तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि पीएम गति शक्ति – राष्ट्रीय मास्टर प्लान से वर्ष 2030 तक प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत 98 किलोग्राम से बढ़कर 160 किलोग्राम होने का अनुमान है। प्रधानमंत्री ने इस्पात उद्योग की व्यापक रोजगार क्षमता का भी उल्लेख किया। उन्होंने निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों से नई तकनीकों का विकास और उनका संवर्धन करने तथा उन्हें साझा करने का भी आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने इस्पात का आयात शून्य करने का लक्ष्य और शुद्ध निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में 2 करोड 50 लाख टन इस्पात निर्यात के लक्ष्य की दिशा में कार्य कर रहा है। श्री मोदी ने कहा कि भारत का वर्ष 2047 तक इस्पात उत्पादन क्षमता 50 करोड टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है। उन्होंने देश के युवाओं के लिए अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए विनिर्माण, अनुसंधान और विकास तथा प्रौद्योगिकी विकसित करने में सहयोग पर भी बल दिया। अप्रयुक्त ग्रीनफील्ड खदानों की समस्या का समाधान करने के महत्व के बारे में श्री मोदी ने कहा कि पिछले दशक में महत्वपूर्ण खनन सुधार किए गए हैं, जिससे लौह अयस्क की उपलब्धता आसान हो गई है। उन्होंने कहा कि देश के संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आवंटित खदानों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने का समय आ गया है।