श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि इससे भारत के कालातीत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मान्यता मिली है। उन्होंने कहा कि गीता और नाट्यशास्त्र दोनों ने सदियों से सभ्यता तथा चेतना को पोषित किया है और इनसे प्राप्त अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती है।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ, यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अब कुल 14 भारतीय ग्रंथ हो गए हैं। उत्कृष्ट मूल्यों वाली दस्तावेजी विरासत को संरक्षित करने की यह एक वैश्विक पहल है। यह पहल उन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रंथों, पांडुलिपियों और दस्तावेजों को मान्यता देती है जिन्होंने सदियों से समाज को प्रभावित किया है।
श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को ऋग्वेद, शांतिनाथ चैत्र, गिलगित पांडुलिपि के साथ सूची में शामिल किया गया है। भगवद्गीता, भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच एक पवित्र संवाद है, जिसे इसके आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है।
दूसरी ओर, प्राचीन ऋषि भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र को रंगमंच, कला और नृत्य जैसी प्रदर्शन कलाओं पर एक आधारभूत ग्रंथ है। दार्शनिक और कलात्मक विरासत को शामिल किया जाना देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।