हिन्दी के प्रसिद्ध कवि और लेखक छत्तीसगढ़ के विनोद कुमार शुक्ल को इस साल का सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा। इसकी घोषणा आज नई दिल्ली में की गई। श्री शुक्ल राजधानी रायपुर में रहते हैं और उनका जन्म एक जनवरी उन्नीस सौ सैंतालीस को राजनांदगांव में हुआ। वे पिछले पचास सालों से साहित्य लेखन में जुटे हुए हैं। उनका पहला कविता संग्रह ‘‘लगभग जयहिन्द‘‘ वर्ष उन्नीस सौ इकहत्तर में प्रकाशित हुआ था। उनके उपन्यास ‘‘नौकर की कमीज‘‘, ‘‘खिलेगा तो देखेंगे‘‘ और ‘‘दीवार में एक खिड़की‘‘ हिन्दी के सबसे बेहतरीन उपन्यासों में माने जाते हैं। साथ ही उनकी कहानियों का संग्रह ‘‘पेड़ पर कमरा‘‘ और ‘‘महाविद्यालय‘‘ भी चर्चा में रहा है। उनकी कविताओं में ‘‘वह आदमी चला गया, नया गरम कोर्ट पहनकर‘‘, ‘‘आकाश धरती को खटखटाता है‘‘ और ‘‘कविता से लंबी कविता‘‘ बेहद लोकप्रिय हुई है। श्री शुक्ल ने बच्चों के लिए भी किताबें लिखी हैं। उनकी किताबों का कई भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है।
विनोद कुमार शुक्ल को इससे पहले उनके लेखन के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं। इनमें गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रजा पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार शामिल हैं।
ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर विनोद कुमार शुक्ला ने कहा कि यह एक बड़ा पुरस्कार है और यह पुरस्कार उन्हें जिम्मेदारी का एहसास भी कराता है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा पर बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि श्री शुक्ल ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ को देश के साहित्यिक मंच पर गौरवान्वित होने का अवसर दिया है।