श्रीलंका की सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व राष्ट्रपतियों को प्राप्त विशेषाधिकारों को समाप्त करने वाले विधेयक को स्वीकृति दे दी है। स्पीकर जगत विक्रमरत्ने ने आज संसद में इसकी घोषणा की।
राष्ट्रपति अधिकार (निरसन) विधेयक से 1986 का अधिनियम निरस्त हो गया है। इसके अंतर्गत पूर्व राष्ट्रपतियों और उनकी विधवाओं को सरकार से वित्तपोषित आवास, परिवहन, कर्मचारी और सचिवीय भत्ते मिलते थे।
न्यायालय ने कहा कि यह विधेयक संविधान के विरुद्ध नहीं है। इस निर्णय से संसद के लिए इस विधेयक को पारित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है, जो राष्ट्रपति अनुर कुमार दिसानायक की सरकार का एक प्रमुख संकल्प था।
इसका उद्देश्य अत्यधिक सरकारी खर्च में कटौती करना था। ये विशेषाधिकार समाप्त होने के बावजूद, पूर्व राष्ट्रपतियों को संविधान के अंतर्गत संरक्षित पेंशन मिलती रहेगी।