प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूटान की सफल राजकीय यात्रा संपन्न कर स्वदेश के लिए रवाना हुए।
भारत और भूटान की गहरी मित्रता और पारस्परिक सम्मान को दर्शाते हुए महामहिम भूटान नरेश स्वयं हवाई अड्डे पर पीएम मोदी को विदा करने पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूटान यात्रा के दौरान भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक और चौथे ड्रूक ग्यालपो के साथ कालचक्र अनुष्ठान का उदघाटन किया। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यह समारोह महामहिम जे खेनपो की अध्यक्षता में आयोजित हुआ, जिससे यह और भी विशेष बन गया। कालचक्र समारोह एक महत्वपूर्ण बौद्ध अनुष्ठान है, जो चल रहे वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव का हिस्सा है। इसमें दुनियाभर से बौद्ध विद्वान और श्रद्धालु शामिल हुए हैं।
इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान नरेश के साथ कल थिम्फू में बैठक के बाद भूटान की ऊर्जा परियोजनाओं की वित्तीय मदद के लिए चार हजार करोड रूपये की रियायती ऋण सहायता देने की घोषणा की। बैठक में दोनों पक्षों ने परस्पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने एक हजार 20 मेगावाट की पुनात्सांगछू-द्वितीय पनबिजली परियोजना का संयुक्त रूप से उदघाटन किया। ये परियोजना भारत और भूटान के बीच ऊर्जा साझेदारी में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा, मानसिक सहायता सेवा और स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्रों में तीन समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान भी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान के प्रधानमंत्री दाशो छेरिंग तोब्गे के साथ बातचीत भी की। दोनों नेताओं ने बारह सौ मेगावाट की पुनात्सांगछू-प्रथम पनबिजली परियोजना के मुख्य बांध का कार्य फिर शुरू होने का स्वागत किया और इसके समय पर पूरा होने को लेकर सहमति व्यक्त की। यह परियोजना पूरी होने पर भारत और भूटान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना होगी।
दोनों पक्षों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित-स्टेम, फिनटेक और अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ते सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने यू पी आई एकीकरण के दूसरे चरण में हुई प्रगति का स्वागत किया, जिससे भूटान के नागरिक भारत में अपने स्थानीय ऐप के जरिये डिजिटल भुगतान कर सकेंगे। दोनों नेताओं ने अंतरिक्ष सहयोग पर संयुक्त कार्य योजना के सफल कार्यान्वयन का भी उल्लेख किया और भूटान में भारतीय शिक्षकों और नर्सों के योगदान की सराहना की।