विदेश मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आज चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन से अलग द्विपक्षीय बैठक में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति पर चर्चा की। संवाददाताओं से बातचीत में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि चर्चा का केंद्र द्विपक्षीय संबंध ही रहा। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने वैश्विक स्तर पर उभरती चुनौतियों को स्वीकार किया। दोनों पक्षों ने इन चुनौतियों के बीच भारत और चीन के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ाने के विषय में चर्चा की।
श्री मिसरी ने आगे कहा कि दोनों नेताओं में सहमति बनी कि दोनों देश मुख्य रूप से अपने घरेलू विकास लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और इस मामले में वे प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच एक स्थिर और सौहार्दपूर्ण संबंध दोनों देशों के लोगों के लिए लाभकारी हो सकता है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि दोनों नेताओं के बीच इस बात पर भी सहमति थी कि मतभेदों को विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए।
श्री मिसरी ने आगे कहा कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के सिद्धांतों पर अपनी-अपनी समझ के बारे में बात की, जिससे उम्मीद है कि यह दोनों पक्षों के भविष्य के कार्यों को दिशा देगा क्योंकि भारत संबंधों के अन्य पहलुओं पर काम कर रहा है।
विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा पार आतंकवाद का प्राथमिकता के रूप में उल्लेख किया। उन्होंने इस तथ्य पर ज़ोर दिया कि यह ऐसा विषय है जिसका दोनों देशों पर प्रभाव पड़ता है।