संसद ने तेल क्षेत्र – विनियमन और विकास संशोधन विधेयक, 2024 पारित कर दिया है। लोकसभा ने आज इसे मंजूरी दे दी। विधेयक का उद्देश्य तेल क्षेत्र – विनियमन और विकास अधिनियम, 1948 में संशोधन करना है। यह खनिज तेलों की परिभाषा का विस्तार करता है, जिसमें प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बन, कोल बेड मीथेन और शेल गैस शामिल हैं।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत की दीर्घकालिक रणनीति सामर्थ्य, उपलब्धता और स्थिरता के पहलुओं पर आधारित है और देश ने इन तीनों को सफलतापूर्वक पार किया है। उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में 40 देशों से कच्चा तेल आयात करता है। श्री पुरी ने कहा कि ब्राजील, गयाना, सूरीनाम, कनाडा और अमेरिका से तेल आपूर्ति में वृद्धि हुई है।
विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि वर्ष 2023-24 में कच्चे तेल का उत्पादन घटकर दो करोड़ 94 लाख मीट्रिक टन रह गया और आयात बढ़कर 24 करोड़ 33 लाख मीट्रिक टन हो गया। उन्होंने प्राकृतिक गैस पर आयात निर्भरता कम करने के सरकार के प्रयासों पर सवाल उठाया।
तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार के प्रयासों पर जवाब मांगा। समाजवादी पार्टी के रामशंकर राजभर ने ईंधन की बढ़ती कीमतों पर चिंता व्यक्त की। आईयूएमएल के मोहम्मद बशीर, भाजपा के जगदंबिका पाल, वाईएसआर कांग्रेस के घुम्मा थानुजा रानी, शिवसेना के रवींद्र वायकर, जनता दल यूनाइटेड के कौशलेंद्र कुमार, तेलुगु देशम पार्टी के कृष्ण प्रसाद टेनेटी, द्रविड़ मुनेत्र कझगम के कथिर आनंद सहित अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया।