लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला ने आज कहा कि लोकतंत्र में विचारों, सहमति और असहमति की जितनी अधिक विविधता होती है, लोकतंत्र उतना ही मजबूत होता है।
दिल्ली विधानसभा में दो दिवसीय अखिल भारतीय स्पीकर सम्मेलन के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सदन के सदस्यों को अपनी आचार संहिता बनाने का प्रयास करना चाहिए और यह चिंतन करना चाहिए कि जनता उनके काम, कार्यप्रणाली, व्यवहार और आचरण को देखती है।
यह सम्मेलन केंद्रीय विधान सभा के पहले निर्वाचित भारतीय अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल की शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।
राष्ट्रीय राजधानी में पहली बार आयोजित हुए इस ऐतिहासिक आयोजन में राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों के साथ-साथ राज्य विधान परिषदों के सभापति और उपसभापति भी एक मंच पर आए। अपने संबोधन में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने देशभर से आये विधानसभाओं के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में सभी ने कार्यपालिका की जिम्मेदारी, पारदर्शिता और विधायी कार्य को कैसे जनहित के लिए करना है इस पर विचार-विमर्श किया।
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस सम्मेलन के द्वारा कानून निर्माण में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय विधायी सूचकांक का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि यह सूचकांक हमारे विधानमंडलों के लिए दर्पण का काम करेगा। श्री गुप्ता ने कहा कि विधानसभा को जनता के विश्वास के योग्य बनाते हुए आने वाले सौ वर्ष तक भारत की लोकतंत्रता को सशक्त करना है।
इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने वीर विट्ठलभाई पटेल गौरव गाथा’ प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य कानून निर्माण में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही को मजबूत करना था।