भारतीय रिजर्व बैंक- आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति- एमपीसी ने आज पिछली छह प्रतिशत वाली रेपो दर को 50 आधार अंको में लगातार तीसरी बार कटौती करके साढे पांच प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। तरलता समायोजन सुविधा- एलएएफ के तहत स्थायी जमा सुविधा- एसडीएफ दर को पांच दशमलव दो-पांच प्रतिशत पर समायोजित किया जाएगा। वहीं सीमांत स्थायी सुविधा- एमएसएफ और बैंक दर को पांच दशमलव सात-पांच पर समायोजित किया गया है।
रेपो दर में 50 आधार अंको की कटौती के बाद आशा की जा रही है कि इससे जुडी सभी बाहरी बेंचमार्क उधार दरों- ईबीएलआर में भी इसी तरह की गिरावट आएगी। बैंक अपने ऋण देने की दरों में भी कटौती कर सकते हैं।
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार यह निर्णय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- सीपीआई मुद्रास्फीति की मध्यम अवधि के लक्ष्य 4 प्रतिशत को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप है। वहीं विकास को समर्थन दिया जा रहा है। इस निर्णय की घोषणा करते हुए आरबीआई के गर्वनर ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के लिए मुद्रास्फीति आउटलुक को चार प्रतिशत से संशोधित करके तीन दशमलव सात प्रतिशत कर दिया गया है। मौद्रिक समिति ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद विकास दर साढे छह प्रतिशत पर रहने का अनुमान व्यक्त किया है। समिति का कहना है कि भू-राजनीतिक तनाव और मौसम की अनिश्चितताएं प्रतिकूल परिस्थितियां उत्पन्न करती हैं।
समिति की अगली बैठक चार से छह अगस्त 2025 को होगी।