मोबाइल ऐप्प
डाउनलोड करें

android apple
signal

जुलाई 27, 2025 9:43 अपराह्न | PM Modi | Rajaraja Chola | Rajendra Chola

printer

राजराजा चोल और राजेंद्र चोल की विरासत भारत की पहचान और गौरव का पर्याय है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि राजराजा चोल और राजेंद्र चोल की विरासत भारत की पहचान और गौरव का पर्याय है। श्री मोदी ने कहा कि उनकी गतिविधियाँ एक पवित्र प्रयास के समान हैं और “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का प्रतीक हैं। प्रधानमंत्री आज तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित आदि तिरुवथिरई उत्सव के समापन समारोह में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि चोल साम्राज्य के दौरान भारत ने वाणिज्यिक प्रगति, समुद्री मार्गों के उपयोग और कला तथा संस्कृति के प्रचार के माध्यम से सभी क्षेत्रों में तेज़ी से उन्‍नति की, जो  नए भारत के निर्माण का एक प्राचीन रोडमैप है। श्री मोदी ने आगे कहा कि एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए, भारत को एकता को प्राथमिकता देनी होगी, अपनी नौसेना तथा रक्षा बलों को मज़बूत करना होगा, नए अवसरों की तलाश करनी होगी और अपने मूल मूल्यों की रक्षा करनी होगी। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि देश इसी दृष्टिकोण से प्रेरित होकर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि चोल काल में हासिल आर्थिक और सामरिक प्रगति आधुनिक भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
 
उन्‍होंने महान राजा राजेंद्र चोल द्वारा, विश्व स्तर पर वास्तुशिल्प चमत्कार के रूप में मान्यता प्राप्त गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर की स्थापना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माँ कावेरी की भूमि पर गंगा का उत्सव चोल साम्राज्य की विरासत है। 
 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज वैश्विक चर्चा अक्सर जल प्रबंधन और पारिस्थितिकी संरक्षण पर केंद्रित होती है। उन्‍होंने कहा कि भारत के पूर्वजों ने इन मुद्दों के महत्व को बहुत पहले ही समझ लिया था। श्री मोदी ने यह भी कहा कि जहाँ कई राजाओं को दूसरे क्षेत्रों से सोना, चाँदी या पशुधन प्राप्त करने के लिए याद किया जाता है, वहीं राजेंद्र चोल को पवित्र गंगा जल लाने के लिए जाना जाता है। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि राजेंद्र चोल ने उत्तर भारत से गंगा जल लाकर दक्षिण में स्थापित किया था। उन्होंने “गंगा जलामयं जयस्तंभम्” वाक्यांश का उल्लेख करते हुए बताया कि जल को चोल गंगा झील में प्रवाहित किया गया था, जिसे अब पोन्नेरी झील के नाम से जाना जाता है। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस ऐतिहासिक घटना की स्मृति में, गंगा जल एक बार फिर काशी से तमिलनाडु लाया गया है। उन्‍होंने बताया कि इस स्थल पर विधिवत एक अनुष्ठान भी किया गया। काशी के निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में, प्रधानमंत्री ने माँ गंगा के साथ अपने गहरे भावनात्मक जुड़ाव को साझा किया।
 
श्री मोदी ने घोषणा की कि आने वाले समय में तमिलनाडु में राजराजा चोल और उनके पुत्र, प्रख्यात शासक राजेंद्र चोल-प्रथम की भव्य प्रतिमाएँ स्थापित की जाएँगी। उन्होंने कहा कि ये प्रतिमाएँ भारत की ऐतिहासिक चेतना के आधुनिक स्तंभ के रूप में कार्य करेंगी।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के महानतम सम्राटों में से एक, राजेंद्र चोल प्रथम के सम्मान में एक स्मारक सिक्का भी जारी किया। इस अवसर तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि, केंद्रीय मंत्री डॉ. एल. मुरुगन सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित  थे।
 
इससे पहले, त्रिची और गंगईकोंडा चोलपुरम में विभिन्न रोड शो के दौरान तमिलनाडु के लोगों ने श्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने विश्व प्रसिद्ध गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में विशेष दर्शन किए और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की।
 
प्रधानमंत्री राज्य के दो दिवसीय दौरे पर थे। उन्होंने लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित थूथुकुडी हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का लोकार्पण किया। श्री मोदी ने चार हजार आठ सौ करोड़ रुपये से अधिक लागत की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और लोकापर्ण भी किया।