राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि भारत का संविधान देश का राष्ट्रीय महाकाव्य है। उन्होंने कहा कि संविधान के प्रावधानों का पालन करना सभी का कर्तव्य है। राष्ट्रपति ने आज नई दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय के संविधान दिवस समारोह में यह बात कही।
राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान विविधता में एकता का स्रोत है। उन्होंने कहा कि एक विधायी दस्तावेज़ होने के बावजूद, भारतीय संविधान जनभागीदारी और व्यापक प्रतिनिधित्व के माध्यम से लोगों के लिए एक संदर्भ पुस्तक बन गया है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को संविधान के बारे में रोचक जानकारी प्रदान की जानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इससे जुड़ाव महसूस कर सकें। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की शक्तियों, कर्तव्यों और प्रक्रियाओं के लिए विस्तृत प्रावधान प्रदान करता है।
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार के ये तीनों अंग आपसी समन्वय के माध्यम से अपने कर्तव्यों के निर्वहन में संवैधानिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि समन्वित संवैधानिक व्यवस्था से नागरिकों को लाभ मिलेगा और देश विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि अन्य सेवाओं की तरह न्याय भी घर-घर पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर लोगों को कानूनी सहायता आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए।