विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा है कि आतंकवाद से लड़ने वाले वास्तव में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सेवा कर रहे हैं। न्यूयार्क में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में ऑपरेशन सिंदूर के बारे में प्रस्तुति के दौरान डॉ. जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद विकास और शांति के लिए खतरा है।
उन्होंने कहा कि आतंकियों के बीच व्यापक नेटवर्किंग को देखते हुए भी जो इससे निपटने के लिए संघर्ष करते हैं वो समग्र रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की व्यापक सेवा करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व को आतंकी गतिविधियों को कतई बर्दाश्त न करने की नीति पर अमल करना चाहिए। विदेशमंत्री ने प्रतिबंध लागू करने में विश्व के दोहरे मापदंडों की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों से आपूर्ति और लोजिस्टिक्स में बाधा होती है, लागत बढ़ती है और राष्ट्रों पर दबाव बनता है। डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि आर्थिक रूप से नाजुक स्थिति में ऊर्जा और अन्य आवश्यक वस्तुओं को अधिक अनिश्चित बनाने से किसी का भला नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ऊर्जा, खाद्य और उर्वरकों की कीमतें बढ़ने के कारण विशेष रूप से ग्लोबल साउथ बहुत प्रभावित हुआ है और शांति तथा विकास पर बुरा असर पड़ा है।
डॉ जयशंकर ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय शांति और वैश्विक विकास के बीच सह-सम्बंध पर ध्यान दे रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शांति को प्रोत्साहन देने और बनाए रखने में ऐसे देशों का उपयोग करना चाहिए जो संघर्षों में विरोधी पक्ष को प्रभावित करने में सक्षम हों।
विदेश मंत्री ने जटिल वैश्विक खतरों का समाधान करने में भी ऐसे देशों को शामिल करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने टिकाऊ विकास की बुनियाद के रूप में शांति सुदृढ़ करने तथा सभी के लिए अधिक सुरक्षित और न्यायोचित भविष्य की कुंजी के रूप में बहुध्रुवीय विश्व को बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया।