रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सिर्फ़ एक विकल्प नहीं, बल्कि अस्तित्व और प्रगति की एक शर्त है। आज नई दिल्ली में एक रक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि आत्मनिर्भर भारत अपनी सामरिक स्वायत्तता की रक्षा कर सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, श्री सिंह ने कहा कि यह ऑपरेशन देश की बढ़ती स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों द्वारा स्वदेशी उपकरणों का उपयोग करके पाकिस्तानी ठिकानों पर किए गए सटीक हमलों ने यह दर्शाया है कि दूरदर्शिता, लंबी तैयारी और समन्वय के बिना कोई भी मिशन सफल नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भले ही कुछ दिनों के युद्ध और पाकिस्तान पर भारत की जीत की कहानी लगे, लेकिन इसके पीछे वर्षों की रणनीतिक तैयारी और रक्षा तैयारियों की बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि देश की सेनाओं की कड़ी मेहनत और स्वदेशी उपकरणों पर निर्भरता ने इस ऑपरेशन को प्रभावी और निर्णायक रूप से अंजाम दिया।
सुदर्शन चक्र मिशन को देश की भविष्य की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव बताते हुए उन्होंने कहा कि इस मिशन का उद्देश्य रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तकनीकों का उपयोग करके देश भर में महत्वपूर्ण स्थानों को पूर्ण हवाई सुरक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा की ऑपरेशन सिंदूर ने आधुनिक युद्ध में वायु रक्षा के महत्व को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने इस महीने में एक स्वदेशी एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने घोषणा की कि सरकार ने एक शक्तिशाली स्वदेशी एयरो-इंजन के विकास और निर्माण की चुनौती ली है। उन्होंने कहा, देश के सभी युद्धपोत अब भारत में बनाए जा रहे हैं और हाल ही में उन्नत हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों से लैस स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस हिमगिरि और आईएनएस उदयगिरि का जलावतरण, भारतीय नौसेना के आत्मनिर्भरता के प्रति संकल्प को दर्शाता है।