राज्यसभा में चुनाव सुधारों के बारे में आज चर्चा शुरू हुई। चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता सुंधाशु त्रिवेदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के दौरान राजनीतिक दलों को नकद चंदे की सीमा बीस हजार से घटाकर दो हजार कर दी गई।
उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड से चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता आई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासन के दौरान चुनाव सुधारों पर कभी ध्यान नहीं दिया गया उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह नहीं समझती कि विश्वास और सम्बंधों के आधार पर मत मिलते हैं। ईवीएम को लेकर कांग्रेस पार्टी के दावे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के शासन काल के दौरान ही ईवीएम व्यवस्था शुरू की गई थी।
इससे पहले चर्चा शुरू करते हुए कांग्रेस के अजय माकन ने निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग मतदान केन्द्रों से सीसीटीवी फुटेज जारी नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को अपनी विश्वसनीयता बहाल करनी चाहिए।
उन्होंने आगाह किया कि विश्वसनीयता में थोड़ी सी कमी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर सकती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के खाते आयकर जमा करने में देरी का हवाला देते हुए बंद कर दिए गए थे।
तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव सुधारों के खिलाफ नहीं है बल्कि वह लोगों के नाम हटाकर नई मतदाता सूची बनाए जाने के विरोध में है।
डीएमके के एन आर इलांगो ने आरोप लगाया कि देश में पुख्ता चुनाव व्यवस्था नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईवीएम से सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता संदेह और आशंकाओं से दूर होनी चाहिए।
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने आरोप लगाया कि विशेष गहन पुनरीक्षण का इरादा मतदाता सूची को शुद्ध करना नहीं बल्कि मतदाताओं के नाम हटाना है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के पास विशेष गहन पुनरीक्षण कराने का अधिकार नहीं है।
वाई एस आर कांग्रेस के येरम वेंकटा सुब्बा रेड्डी ने भी चुनाव सुधारों पर चर्चा में भाग लिया। चर्चा अधूरी रही।
बाद में सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।