पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी पर छह नई नहरों के निर्माण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य समूहों ने कॉमन इंटरेस्ट्स काउंसिल की हाल की घोषणा का विरोध किया है। काउंसिल इस विवादास्पद परियोजना पर आम सहमति बनाने में विफल रही है।
जुलाई 2024 में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा स्वीकृत इस परियोजना का उद्देश्य बंजर पडी भूमि के बड़े हिस्से की सिंचाई करना था। हालांकि, इस कदम ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है, जिससे प्रांतों के बीच लंबे समय से चली आ रही प्रतिद्वंद्विता फिर से शुरू हो गई है।
एक निचला तटवर्ती प्रांत होने के कारण सिंध में पानी की बढती कमी से चिंताएं पैदा हो गई है। सिंध के नेताओं ने संघीय सरकार पर अपने प्रांत की 18 मिलियन एकड़ जमीन की कीमत पर पंजाब के हितों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया। उन्होंने चेतावनी दी कि नहरें न केवल जल संकट को बढ़ाएंगी, बल्कि समुद्री जल के प्रवेश को बढ़ाकर और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाकर सिंधु डेल्टा को भी खतरे में डाल देंगी।
नहर परियोजना ने सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर तनाव को भी गहरा कर दिया है।