राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में संविधान के संथाली संस्करण विमोचन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि यह सभी संथाली लोगों के लिए गर्व और खुशी की बात है कि संविधान अब संथाली भाषा में, ओल चिकी लिपि में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इससे लोग संविधान को अपनी भाषा में पढ़ और समझ सकेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष ओल चिकी लिपि की शताब्दी मनाई जा रही है। उन्होंने शताब्दी वर्ष में ओल चिकी लिपि में संविधान लाने के लिए केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री और उनकी टीम की सराहना की।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन और विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस अवसर पर उपस्थित थे। संथाली भाषा को 92वें संशोधन अधिनियम, 2003 के माध्यम से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था।
यह भारत की सबसे प्राचीन जीवित भाषाओं में से एक है। यह भाषा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में बडी संख्या में रहने वाले आदिवासी लोगों द्वारा बोली जाती है।