राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में संस्कृत के विद्वान स्वामी रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। स्वामी रामभद्राचार्य और प्रख्यात उर्दू कवि एवं गीतकार गुलजार को 2023 के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया था। इन विभूतियों को साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने स्वामी रामभद्राचार्य और गुलजार को ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए बधाई दी। हालांकि, गुलजार अस्वस्थ होने के कारण पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हो सके। राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य समाज को जोड़ता है और जागृत करता है। उन्होंने कहा कि 19वीं सदी के सामाजिक जागरण से लेकर 20वीं सदी में देश के स्वतंत्रता संग्राम तक कवियों और लेखकों ने लोगों को जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति ने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ गीत लगभग 150 वर्षों से देशवासयिों को जागृत करता रहा है और हमेशा करता रहेगा। स्वामी रामभद्राचार्य के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने उत्कृष्टता का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि स्वामी जी के जीवन से प्रेरणा लेकर आने वाली पीढ़ियां साहित्य सृजन, समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण में आगे बढ़ती रहेंगी। राष्ट्रपति ने 1965 से विभिन्न भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट साहित्यकारों को पुरस्कृत करने के लिए भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्यकारों को पुरस्कृत करने की प्रक्रिया में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार के चयनकर्ताओं ने सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों का चयन किया है और इस पुरस्कार की गरिमा को बनाए रखा है। इस अवसर पर स्वामी रामभद्राचार्य ने पुरस्कार प्राप्त करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उनके साहित्यिक अवदान को मान्यता मिली है।