प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो में जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की और विशेष रणनीतिक तथा वैश्विक साझेदारी के अगले चरण को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी बातचीत लाभप्रद और सार्थक रही है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि भारत-जापान भागीदारी विश्व शांति और स्थिरता के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि मजबूत लोकतांत्रिक देश विश्व को बेहतर बनाने में स्वाभाविक भागीदार हैं। श्री मोदी ने बताया कि अगले दशक के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि निवेश, नवाचार, आर्थिक सुरक्षा, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, गतिशीलता, लोगों के बीच अदान प्रदान और सरकार प्रायोजित भागीदारी इस रूपरेखा के केंद्र में हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान के बीच हरित भागीदारी भी आर्थिक भागीदारी के समान मजबूत है। उन्होंने कहा कि जापानी प्रौद्योगिकी और भारतीय प्रतिभा का समीकरण कामयाबी का प्रतीक है।
एक बयान में जापान के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत नवाचार के जरिए समूचे विश्व में परिवर्तन ला रहा है। उन्होंने कहा कि पूरक और आपसी संबंध भारत और जापान दोनों के लिए लाभदायक है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग मजबूत हुआ है। श्री शिगेरू इशिबा ने कहा कि भारत में संभावनाओं से भरा विस्तृत बाजार है। इस अवसर पर भारत और जापान ने कई समझौतों का आदान प्रदान भी किया।
इससे पहले, श्री मोदी ने जापान की संसद के अध्यक्ष फुकुशिरो नुकागा और जापान के संसद सदस्यों से भी मुलाकात की। एक सोशल मीडिया पोस्ट में श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने भारत और जापान के बीच मजबूत और मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों पर चर्चा की। दोनों नेताओं की बातचीत संसदीय आदान-प्रदान, मानव संसाधन विकास, सांसकृतिक आदान-प्रदान और अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, गतिशील साझेदारी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा अन्य मुद्दों सहित मुख्य क्षेत्रों में सहयोग पर केन्द्रित थी।