प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत हर चुनौती पर काबू पाने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् की भावना इस शक्ति का प्रतीक है। श्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत या ऋचा नहीं है बल्कि अपने कर्तव्यों के प्रति लोगों को जागरूक करने से संबंधी प्रेरणा का एक स्रोत है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् देश की एक प्रेरणा है। लोगों के सामने एक आत्मनिर्भर भारत निर्मित करने संबंधी सपने का एक लक्ष्य है। प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कल राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150वें वर्ष पर चर्चा के दौरान यह बात कही। राष्ट्रीय गीत को 1875 में बंकिम चन्द्र चैटर्जी ने लिखा था।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् के मंत्र ने पूरे देश को प्रेरणा और शक्ति प्रदान की तथा स्वाधीनता आंदोलन को सक्रिय बनाया। उन्होंने कहा कि पावन वंदे मातरम् का स्मरण करना आज सदन के सभी सदस्यों और देशवासियों का एक स्वाधिकार है। श्री मोदी ने कहा कि 1947 में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् देश की स्वाधीनता के लिए स्वाधीनता संग्राम के नेतृत्व के दौरान प्रेरणा का एक स्रोत बना। प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को साकार करने की शक्ति बना।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् ने जब अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाई तब देश आपातकाल से हिल गया था। उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रीय गीत को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए था, तब भारत के संविधान का गला घोंटा गया और जो लोग देशभक्ति के लिए जिए और मर गए उन्हें सलाखों के पीछे कैद कर दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् ने हजारों वर्षों के भारत की जड़ों में समाहित एक विचार का अलख जगाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न को बढ़ावा देने वाली ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध आंदोलन के समय वंदे मातरम् लिखा गया था। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय गीत के जरिए बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने पूरी शक्ति और संकल्प के साथ इस चुनौती के प्रति प्रतिक्रिया दिखाई। श्री मोदी ने कहा कि लोगों के साथ वंदे मातरम् का गहरा संबंध है। देश के स्वाधीनता आंदोलन की यात्रा को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् का विरोध करने वाली मुस्लिम लीग की राजनीति ने 1937 में गति पकड़ी। श्री मोदी ने वंदे मातरम् पर समझौता करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस राष्ट्रीय गीत पर मुस्लिम लीग के सामने झुक गया। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि मोहम्मद अली जिन्ना ने वंदे मातरम् और कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू के विरूद्ध नारे बुलंद किए। जिन्ना के विरोध सिर्फ पांच दिनों बाद कांग्रेस ने जिन्ना की निंदा करने के बजाए वंदे मातरम् की भी जांच शुरू कर दी।
चर्चा में भाग लेते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वंदे मातरम् देश के वर्तमान, भूत और भविष्य का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय गीत ने ब्रिटिश शासकों के विरूद्ध लड़ाई लड़ने के लिए स्वाधीनता सेनानियों को शक्ति प्रदान की। श्री सिंह ने कहा कि ये वही गीत है जिसने देश को जगाया और प्रेरणा का स्रोत बना। रक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय गीत ने 1905 में बंगाल विभाजन के दौरान देश के लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांगेस ने राष्ट्र को विभाजित किया। राष्ट्रीय गीत और वंदे मातरम को राष्ट्रगान की तरह इतिहास में उचित स्थान नहीं मिला।
इस चर्चा में भागीदारी करते हुए कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वंदे मातरम् देश की आत्मा है और हर भारतीय इसे गाते हुए गर्व का अनुभव करता है। उन्होंने कहा कि गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1896 के कांग्रेस के एक अधिवेशन में वंदे मातरम् का पाठ किया। उन्होंने आरोप लगाया कि वंदे मातरम् पर चर्चा करके आज लोगों का ध्यान बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार वर्तमान वास्तविकता को छुपाना चाहती है। पार्टी के अन्य नेता गौरव गोगोई ने कहा कि बंगाल के कई लेखकों और कवियों ने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान लोगों को प्रेरित करने वाले गीत लिखे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण के दौरान चर्चा को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की।
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि वंदे मातरम् ने लोगों को एकजुट किया। उन्होंने दावा किया कि वंदे मातरम् के पीछे की भावना सांप्रद्रायिक राजनीति को खारिज करने वाली है। तृणमूल कांग्रेस की काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि प्रत्येक भारतीय के हृदय में दृढ़ संकल्प और चेतना का रचनात्मक आवेग है। जनता दल यूनाइटेड के देवेश चन्द्र ठाकुर ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं बल्कि जागृति के लिए एक राष्ट्रीय आह्वान है। तेलुगु देशम पार्टी की डॉ. बायरेड्डी शबरी ने कहा कि मातरम एक शाश्वत गीत है और यह देश के साहस, आशा और सामूहिक चेतना का प्रतिनिधित्व करता है। शिवसेना के श्रीरंग वारने ने कहा कि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् राष्ट्रवाद का पर्याय है। उन्होंने देवी दुर्गा और भारत माता से संबंधित राष्ट्रीय गीत की पंक्तियों को हटाने के लिए कांग्रेस को आरोपी ठहराया। डीएमके के ए राजा, शिवसेना -यूबीटी के अरविन्द सावंत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी – शरदचंद्र पवार के भास्कर भगारे भी चर्चा मे शामिल हुए।
भारतीय जनता पार्टी के अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि वंदे मातरम् वेद, कुरान और बाइबिल की तरह पवित्र है। उन्होंने इस चर्चा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अनुपस्थिति की ओलाचना की। लोक जनशक्ति पार्टी – रामविलास के राजेश वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय गीत ने ब्रिटिश शासन के विरूद्ध लड़ने के लिए करोड़ो लोगों को एकजुट किया।
इस चर्चा की शुरूआत के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् पर चर्चा कर रहा है। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक दमन के विरूद्ध भारत की लड़ाई और कठिन समय में राष्ट्रीय गीत ने उम्मीदद की किरण जगाई। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने सरकार की इस बात के लिए आलोचना की कि वह वंदे मातरम की भावना की संरक्षक और सच्ची समर्थक है। उन्होंने विभिन्न मोर्चो पर सरकार की असफलता से ध्यान भटकाने के लिए सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा कराने के लिए सरकार की आलोचना की।
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि कुछ लोग वोट बटोरने के लिए वंदे मातरम का नारा लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम ने उस समय देश को एकजुट किया जब अंग्रेज अपनी फूट डालो और राज करो की नीति पर चल रहे थे।
भाजपा के बिप्लब कुमार देब ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम को वंदे मातरम के साथ अभिव्यक्त किया जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बड़े पैमाने पर जश्न मनाने के लिए धन्यवाद दिया ताकि आज की पीढ़ी देश के गौरवशाली अतीत के बारे में जान सके।
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज, आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर, समाजवादी पार्टी की इकरा चौधरी, जनता दल यूनाइटेड की लवली आनंद, भाजपा सांसद संबित पात्रा, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बैनर्जी सहित कई नेताओं ने चर्चा में भाग लिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कुल 66 सदस्यों ने बहस में भाग लिया। उन्होंने कहा कि पूरे देश ने देखा कि कैसे सदन में सभी लोग आधी रात तक वंदे मातरम पर चर्चा के लिए एक साथ आए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सदन में ऐसी रचनात्मक चर्चाएँ होती रहेंगी। बाद में, सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।