रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सशस्त्र बलों द्वारा चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर एक संतुलित सैन्य प्रतिक्रिया सिद्ध हुआ है। 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आकाशवाणी से प्रसारित ‘सैनिकों के नाम संदेश’ में, श्री सिंह ने ऑपरेशन के दौरान भारत की कार्रवाई को एक सटीक और सफल सैन्य रणनीति का एक शानदार उदाहरण और एक नए दृष्टिकोण, तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भरता की झलक बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने ड्रोन युद्ध, बहुस्तरीय वायु रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और नेटवर्क-केंद्रित ऑपरेशन जैसे अत्याधुनिक उपकरणों का सफलतापूर्वक उपयोग किया। इससे भारत की विदेशी तकनीक पर अब निर्भरता नहीं रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हवाला देते हुए, श्री सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर न केवल भारत के सैन्य कौशल का प्रमाण है, बल्कि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक पर आत्मनिर्भरता सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की संतुलित रणनीति का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चंद मिनटों में ही लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालयों समेत नौ आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट कर दिया गया। इस कार्रवाई में नागरिक क्षेत्र या पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया। इस कार्रवाई के दौरान सशस्त्र बलों ने न तो नियंत्रण रेखा पार की और न ही अंतर्राष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन किया, लेकिन दुश्मन को करारा झटका देने में कामयाब रहे।
अपने संदेश में, श्री सिंह ने इस प्रतिक्रिया को युद्ध की नई कला का प्रतीक बताया, जहां भारत अब पारंपरिक सीमाओं से बंधा नहीं है, बल्कि आधुनिक तकनीक, सटीक खुफिया जानकारी और स्मार्ट सैन्य रणनीतियों का उपयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत का स्पष्ट संदेश था कि हम सहिष्णु हैं, लेकिन जब बात हमारे देश की सुरक्षा और सम्मान की आती है, तो हम एकजुट होकर हर चुनौती का डटकर सामना करते हैं।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक आतंकवाद के पूर्ण विनाश का लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता।
उन्होंने पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के दाचीगाम में ऑपरेशन महादेव के दौरान पहलगाम हमले में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के तीन वरिष्ठ आतंकवादियों को मार गिराने के लिए भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की सराहना की। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक को भी याद किया, जिनके जरिए भारतीय सेना ने अतीत में पठानकोट और पुलवामा हमलों का बदला लिया था।
आत्मनिर्भरता को एक मजबूत अर्थव्यवस्था की पहली शर्त बताते हुए, श्री सिंह ने बताया कि आज भारत 65 प्रतिशत विनिर्माण अपनी धरती पर कर रहा है और केवल 35 प्रतिशत आयात किया जा रहा है। इससे पहले सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे। उन्होंने रक्षा बजट में निरंतर वृद्धि का भी उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2013-14 में 2 लाख 53 हजार करोड़ रुपये के बजट को बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2025-26 में 6 लाख 81 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है।
79वें स्वतंत्रता दिवस पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए, रक्षा मंत्री ने उन बहादुर और प्रतिबद्ध सैनिकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास पर, रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले एक वर्ष में सीमा सड़क संगठन की 125 परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया है, जिससे परिचालन तैयारियों, दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और समग्र विकास को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि सीमा सड़क संगठन-बीआरओ की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक शिंकुन ला सुरंग शामिल है, जो लद्दाख में 15 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर बनाई जा रही है। इससे न केवल सैनिकों की आवाजाही सुगम होगी, बल्कि लद्दाख के सामाजिक और आर्थिक विकास का मार्ग भी खुलेगा।
सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका पर, श्री सिंह ने कहा कि नारी शक्ति अब केवल सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक नहीं, बल्कि जल, थल और वायु क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है।
उन्होंने स्टार्ट-अप से लेकर रणनीतिक क्षेत्रों तक, देश को आगे बढ़ाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका का भी उल्लेख किया।