रक्षा मंत्रालय ने आज दो हजार 867 करोड़ रुपये के दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। ये अनुबंध रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन- डीआरडीओ की एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन- एआईपी प्लग के निर्माण और भारतीय पनडुब्बियों से इसे जोडने तथा कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों को इलेक्ट्रॉनिक हैवी वेट टॉरपीडो- ईएचडब्ल्यूटी से जोडने के लिए किए गए हैं। दोनों अनुबंधों पर नई दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए। रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि एआईपी प्लग के निर्माण का अनुबंध मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के साथ लगभग एक हजार 990 करोड़ रुपये में किया गया, जबकि डीआरडीओ द्वारा विकसित किए जा रहे ईएचडब्ल्यूटी को जोडने का अनुबंध फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ लगभग 877 करोड़ रुपये की लागत से किया गया। मंत्रालय ने बताया कि एआईपी तकनीक को स्वदेशी रूप से विकसित किया जा रहा है। एआईपी प्लग के निर्माण और पनडुब्बियों से इसे जोडने से पारंपरिक पनडुब्बियों की सहनशक्ति बढ़ेगी और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। मंत्रालय ने बताया कि इससे करीब तीन लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन होगा। ईएचडब्ल्यूटी का एकीकरण भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और फ्रांस के नवल ग्रुप का संयुक्त प्रयास होगा। मंत्रालय ने कहा कि इससे भारतीय नौसेना की कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों की मारक क्षमता में काफी वृद्धि होगी।
Site Admin | दिसम्बर 30, 2024 9:19 अपराह्न | Defence Ministry | DRDO | India
रक्षा मंत्रालय ने दो हजार 867 करोड़ रुपये के दो अनुबंधों पर किए हस्ताक्षर
