वेव्स 2025 में, “पायरेसी: तकनीक के माध्यम से कंटेंट की सुरक्षा” विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई। इसमें मीडिया, कानून और साइबर सुरक्षा क्षेत्रों के प्रबुद्ध लोगों ने भाग लिया। चर्चा का संचालन आईपी समूह के एशिया प्रशांत क्षेत्र के उपाध्यक्ष और प्रमुख नील गेन ने किया। सत्र में इस बात पर चर्चा हुई कि पायरेसी अब कोई मामूली समस्या नहीं, बल्कि मुख्यधारा की एक गंभीर चुनौती है, जिसके समाधान के लिए समन्वित और बहुआयामी प्रयास आवश्यक हैं।
एशिया मीडिया पार्टनर्स के प्रबन्धन और कार्यकारी निदेशक विवेक कौतो ने पाइरेसी के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान पर प्रकाश डाला। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मुद्दे को सिर्फ सुरक्षा की नजर से नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल वीडियो अर्थव्यवस्था की संभावनाओं के रूप में देखा जाना चाहिए।
आईएसबी इंस्टीट्यूट ऑफ डेटा साइंस की सहायक निदेशक डॉ. श्रुति मंत्री ने डिजिटल पायरेसी और साइबर अपराध के आपसी संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने व्यापक जन जागरूकता अभियानों और शैक्षणिक पहलों की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि रोकथाम की शुरुआत जागरूक उपभोक्ताओं से होनी चाहिए।
डी ए जेड एन के पायरेसी रोधी विभाग के प्रमुख अनुराग कश्यप ने खेल क्षेत्र में पायरेसी रोधी उपायों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि उनका दृष्टिकोण रोकथाम पर आधारित है। वहीं, जिओ हॉटस्टार के कानूनी मामलें के प्रमुख अनिल लाले ने सख्त कानून की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। आनंद एंड आनंद एसोसिएट्स के प्रवीण आनंद ने कहा कि समाधान तकनीक और न्यायिक सुधारों में निहित है।
पैनल ने इस बात पर सहमति जताई कि डिजिटल कंटेंट के भविष्य की सुरक्षा के लिए एक संयुक्त मोर्चे की आवश्यकता है, जिसमें तकनीक, कानून, प्रवर्तन एजेंसियाँ और जन जागरूकता एक साथ मिलकर काम करें।