विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले विविध पृष्ठभूमि के प्रतिष्ठित जनजातीय लोगों के एक समूह ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भेंट की।
आदि कर्मयोगी अभियान के अंतर्गत जनजातीय नेताओं के साथ आयोजित संवादों की श्रृंखला की यह अंतिम बैठक थी। बैठक में राष्ट्रपति ने कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान जनजातीय समाज और देश के भविष्य को आकार देने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास है।
यह पहल एक समावेशी और समतामूलक भारत के निर्माण के हमारे सामूहिक संकल्प को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि जनजातीय समुदाय न केवल विकास के लाभार्थी हों, बल्कि राष्ट्र के भविष्य के सह-निर्माता भी हों।
राष्ट्रपति ने आदि कर्मयोगी अभियान को एक परिवर्तनकारी पहल बताया। इसका उद्देश्य उत्तरदायी शासन के माध्यम से जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना है। उन्होंने इस वर्ष जुलाई में अभियान की शुरुआत के बाद से इसकी प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक लाख गाँवों में, अधिकारियों, स्वयंसेवकों और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं तथा जनजातीय युवाओं सहित 20 लाख आदि-कर्मयोगियों को संगठित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वास्तविक सशक्तिकरण केवल योजनाओं से नहीं बल्कि लोगों के अधिकारों की मान्यता से आकार लेता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सच्चा सशक्तिकरण उन अधिकारों के सम्मान और जनजातीय समुदायों के प्रतिनिधित्व से मज़बूत होता है। राष्ट्रपति ने जनजातीय समुदायों के सदस्यों से अपनी विकास यात्रा की सक्रिय ज़िम्मेदारी लेने का आग्रह किया।
बैठक में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम और जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके भी उपस्थित थे।