आज लोकसभा में आज पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत के सशक्त, सफल और निर्णायक ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा शुरू हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने पाकिस्तान को यह कड़ा संदेश दिया कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि पहलगाम में पर्यटकों पर कायरतापूर्ण हमले के जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को माकूल जवाब दिया, आतंकियों के नौ ठिकाने तबाह कर दिए और एक सौ से अधिक आतंकी मार गिराए। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का जवाब उकसावे के लिए नहीं, बल्कि नपा-तुला था। श्री सिंह ने कहा कि भारत की कार्रवाई पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को निशाना बनाने के उद्देश्य से की गई थी।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना के साहस की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के हमले का प्रभावी जवाब दिया गया और अत्यधिक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली एस-400 तथा आकाश मिसाइल सिस्टम का उपयोग किया गया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पाकिस्तानी हमले में भारत की कोई भी महत्वपूर्ण सम्पत्ति नष्ट नहीं हुई। उन्होंने यह दावे खारिज कर दिए कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा किसी भी तरह के दबाव में की गई। श्री सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से सम्पर्क किया था और सैन्य कार्रवाई रोकने की अपील की थी। रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच औपचारिक बातचीत 12 मई को हुई और दोनों पक्षों ने सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला किया। रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि यदि भविष्य में उसने कोई दुस्साहस किया तो ऑपरेशन सिंदूर फिर शुरू हो जाएगा।
रक्षा मंत्री ने आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने पर पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि उसने आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का औजार बना लिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद की नर्सरी बन गया है और आतंकवाद को अपनी सरकारी नीति की बुनियाद बना लिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की सेना और आई एस आई छद्म युद्ध के रूप में आतंकवाद का इस्तेमाल करते हैं और वे भारत को अस्थिर बनाने के सपने देखते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत आतंकवाद से निपटने के लिए किसी भी हद तक जाएगा। विपक्ष की आलोचना करते हुए श्री सिंह ने कहा कि उसके कुछ सदस्य पूछते रहे हैं कि भारत के कितने विमान गिराए गए। श्री सिंह ने कहा कि विपक्ष के ऐसे सवाल राष्ट्रीय भावनाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं करते।
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद स्पष्ट, मजबूत और दृढ़तापूर्ण संदेश भेजना महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहलगाम हमले की वैश्विक समझ को आकार देने के लिए कदम उठाए और लम्बे समय से सीमापार आतंकवाद का इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष बेनकाब करने का प्रयास किया।
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार पहलगाम में कायराना हमला करने वाले आतंकियों को पकड़ने में नाकाम रही। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान संघर्ष विराम की घोषणा के लिए भी सरकार पर सवाल उठाया। श्री गोगोई ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन ने पाकिस्तान को वित्तीय सहायता दी जिससे भारतीय कूटनीति की असफलता का पता चलता है।
समाजवादी पार्टी के रमाशंकर राजभर ने भी कांग्रेस सांसद गोगोई के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकी अब भी फरार हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति पर भी सवाल उठाया।
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने विपक्ष पर सवाल उठाया कि वह सेना के साहस का सम्मान क्यों नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि यूपीए शासन के दौरान अनेक आतंकी घटनाएं हुईं और इस दौरान 615 लोगों की जान गई। भाजपा सांसद बैजयंत पांडा ने भारतीय हितों के साथ समझौता करने पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की आलोचना की। उन्होंने भारतीय सेना की क्षमता और देश की स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर सवाल उठाने के लिए विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर सवाल उठाया। लोक जनशक्ति पार्टी – रामविलास की सांसद शंभवी ने कहा कि पहलगाम में आतंकी हमला केवल नागरिकों पर ही नहीं, बल्कि समूची मानवता पर हमला था। उन्होंने कहा कि यह नया भारत है जो आतंकियों को अपनी भाषा में समुचित सबक सिखाता है।
तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी, तेलगु देशम पार्टी के लवु श्री कृष्णा, वाई एस आर सी पी के वाई एस अविनाश रेड्डी, कांग्रेस के दीपेंदर सिंह हुड्डा ने भी चर्चा में भाग लिया। चर्चा जारी है।