राज्यसभा में पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में देश के सशक्त, सफल और निर्णायक ऑपरेशन सिंदूर पर आज फिर से चर्चा शुरू हुई। चर्चा में भाग लेते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को रोकने के लिए मध्यस्थता के दावों का खंडन करते हुए कहा कि 22 अप्रैल से 16 जून तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर किसी प्रकार की बातचीत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि किसी भी विश्व नेता ने भारत से यह ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा। विदेश मंत्री ने कहा कि अमरीका के उपराष्ट्रपति के साथ बातचीत के दौरान भारत ने अपना यह रुख स्पष्ट कर दिया था कि अगर पाकिस्तान हमला करता है तो भारत बड़ा हमला करके जवाब देगा। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बहावलपुर और मुरीदके जैसे सबसे बड़े आतंकवादी केंद्रों को भारी नुकसान हुआ है। श्री जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तानी हवाई अड्डों का विनाश और पाकिस्तान में आतंकवादियों के अंतिम संस्कार के वीडियो ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के पीछे की मंशा जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को तबाह करना है, जो अनुच्छेद 370 हटने के बाद सामान्य स्थिति और समृद्धि की ओर अग्रसर हुआ।
विदेश मंत्री ने कहा कि हमले के बाद, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में पहला फैसला यह लिया गया कि सिंधु जल संधि को तब तक स्थगित रखा जाए जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन पूरी तरह से बंद नहीं कर देता। उन्होंने कहा कि लोगों को 60 साल तक बताया गया कि जवाहरलाल नेहरू की गलती को सुधारा नहीं जा सकता, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने दिखाया कि इसे सुधारा जा सकता है। डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि भारत 1947 से सीमा पार आतंकवाद का सामना कर रहा है और खून तथा पानी साथ-साथ नहीं बहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत पिछले एक दशक में कई वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के मुद्दे को वैश्विक एजेंडे में रखने में सक्षम रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि पहलगाम में आतंकी हमले के पीछे रहे द रेजिस्टेंस फ्रंट –टीआरएफ को अमरीका ने आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत ने कड़ा संदेश दिया है कि वह किसी भी तरह की मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं है और वह परमाणु ब्लैकमेल को स्वीकार नहीं करेगा।