रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए देश में स्वदेशी तकनीक से निर्मित अगली पीढ़ी के छोटे इलेक्ट्रिक प्रशिक्षिण विमानों का निर्माण किया जा रहा है। ई-हंसा के नाम से विकसित किए जा रहे ये विमान दो सीटों वाले हैं। इनकी कीमत आयात किए जाने वाले ऐसे विमानों की तुलना में लगभग आधी है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज सभी विज्ञान विभागों के सचिवों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में बताया कि यह छोटा विमान बेंगलुरू स्थित सीएसआईआर-नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरीज- द्वारा बनाया जा रहा है।
ई-हंसा बड़े प्रशिक्षण विमान हंसा-3 कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे भारत में पायलट प्रशिक्षण के लिए एक लागत प्रभावी और स्वदेशी विकल्प के रूप में डिज़ाइन किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के स्पेडैक्स अभियान की सफलता का उल्लेख करते हुए श्री सिंह ने कहा कि यह भारत के आगामी मानव युक्त गगनयान अभियान के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।