जुलाई 29, 2025 4:35 अपराह्न

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भारत, पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल और अन्य युद्ध रणनीतियों के आगे कभी नहीं झुकेगा- रक्षा मंत्री

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के सशक्त, सफल और निर्णायक ऑपरेशन सिंदूर पर आज राज्‍यसभा में विशेष चर्चा हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चर्चा की शुरुआत करते हुए पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या करने वाले तीन आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में मार गिराने के लिए भारतीय सेना और सुरक्षा बलों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना और यह स्पष्ट संदेश देना था कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्‍त न करने की नीति अपनाता है।

     रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवादी भारत को एक आसान निशाना मान रहे थे, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आतंकवादियों को संदेश दिया गया है कि अगर वे निर्दोष लोगों की जान लेंगे तो उनके ठिकाने नष्ट कर दिए जाएँगे। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम में पर्यटकों पर हुए कायराना हमले का बदला लेते हुए, पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और एक सौ से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया।

रक्षा मंत्री ने दोहराया कि अगर पाकिस्तान भविष्य में कोई दुस्साहस करेगा, तो भारत ऑपरेशन सिंदूर को फिर से शुरू करने से नहीं हिचकिचाएगा। उन्होंने कहा कि भारत, पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल और अन्य युद्ध रणनीतियों के आगे कभी नहीं झुकेगा। श्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि सरकार ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सशस्त्र बलों को आपातकालीन खरीद की स्वतंत्रता देकर उन्हें मज़बूत करने के लिए कदम उठाए हैं। उन्‍होंने बताया कि देश में बने रक्षा उत्पादों का इस वर्ष लगभग 100 देशों को निर्यात किया जा रहा है और रक्षा निर्यात 30 हज़ार करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जिसके 2029 तक 50 हज़ार करोड़ रुपये तक पहुँचने की उम्मीद है।

    राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चर्चा में भाग लेते हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान संघर्ष विराम की घोषणा पर सरकार से सवाल किया। सरकार पर ख़ुफ़िया विफलता का आरोप लगाते हुए, उन्‍होंने कहा कि उरी, पुलवामा और अब पहलगाम हमले ख़ुफ़िया विफलता को दर्शाते हैं। श्री खडगे ने पहलगाम आतंकवादी हमले के लिए ज़िम्मेदार आतंकवादियों को पकड़ने में सरकार की विफलता पर भी सवाल उठाया।

    रक्षा मंत्री ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा किसी दबाव में नहीं की गई थी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्‍ड ट्रम्प तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी।

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