लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि भारतीय संविधान की भावना सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार करने, समान अवसर उपलब्ध कराने और प्रगति की मुख्यधारा में समाज के वंचित तथा पिछडे वर्गो को सम्मिलित करने की है। श्री बिरला ने यह टिप्पणी आज उज्बेकिस्तान के ताशकंद में अन्तर संसदीय संघ की 150वीं सभा को संबोधित करते हुए की। सभा की मुख्य विषयवस्तु सामाजिक विकास और न्याय के लिए संसदीय कार्रवाई है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हाल के वर्षो में भारतीय संसद में कई विधेयक पारित किए हैं जो सामाजिक न्याय और सुरक्षा तथा समाज के सभी वर्गो के समावेशन को प्रोत्साहन देते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद ने न्याय और विधि के शासन को प्राथमिकता देने वाले कई उपाय किए हैं।
श्री बिरला ने कहा कि भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता में बदलकर भारत ने न्याय की सर्वोच्चता को स्थापित किया है। श्री बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने विश्व की सबसे तेज गति से बढने वाली अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का लक्ष्य वर्ष 2047 में विकसित भारत बनना है।
श्री बिरला ने कहा कि अन्तर-संसदीय संघ वैश्विक संसदीय सहयोग में निरंतर नए आयाम जोड रहा है। उन्होंने कहा कि 150वीं सभा की विषयवस्तु वसुधैव कुटुम्बकम के विस्तार को परिलक्षित करती है जो भारतीय संस्कृति, परम्परा और दर्शन से बहुत गहरे जुडी हुई है।