भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आपातकाल अवधि के दुरूपयोग पर कांग्रेस की निंदा की है। उन्होंने आज कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या वह आपातकाल के दौरान संविधान का गला घोंटने और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए माफी मांगेगी। आपातकाल के 50वीं वर्षगांठ पर मुंबई में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में श्री प्रसाद ने कहा कि उस अवधि के दौरान लोकतांत्रिक मूल्यों को दबाने के लिए कई संवैधानिक संशोधन किए गए। उन्होंने कहा कि जनसंघ और सोशलिस्ट दलों के नेताओं सहित डेढ़ लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। जयप्रकाश नारायण और मोरारजी देसाई जैसे प्रमुख नेताओं को जेल भेजा गया और उन्हें एक-दूसरे से मिलने की अनुमति भी नहीं दी गई।
प्रेस के दमन का उल्लेख करते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि दो सौ 53 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया और 52 विदेशी पत्रकारों की आधिकारिक मान्यता रद्द कर दी गई। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों को प्रकाशन से पहले सेंसरशिप के दायरे में लाया गया। भारत में प्रवेश करने से प्रतिबंधित 29 विदेशी संवाददाताओं में प्रतिष्ठित पत्रकार मार्क तली भी थे।
श्री प्रसाद ने कहा कि सरकार ने अधिकारियों के लिए नसबंदी के लक्ष्य निर्धारित किए। इस कारण लगभग 60 लाख लोगों की जबरन नसबंदी कर दी गई। इनमें से कुछ लोगों की तो शादी से पहले ही नसबंदी कर दी गई।