केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में द इमरजेंसी डायरीज–इयर्स देट फोर्जड ए लीडर नामक पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक तत्कालीन युवा आरएसएस प्रचारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। श्री मोदी ने आपातकाल के विरूद्ध लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पुस्तक में लोकतंत्र के आदर्शों के लिए संघर्ष करने वाले श्री मोदी की एक जीवंत तस्वीर पेश की गई है। श्री शाह ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर संविधान हत्या दिवस 2025 के कार्यक्रम के दौरान इस पुस्तक का विमोचन किया। इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकतंत्र जिंदाबाद यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना किया। संवैधानिक मूल्यों, लोकतांत्रिक अधिकारों और आपातकाल से मिले सबक को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यह यात्रा पूरे देश में होगी।
इस अवसर पर श्री शाह ने आपातकाल के दौरान लोगों पर हुए अत्याचारों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सभी को आपातकाल की यादों को अवश्य जीवित रखना चाहिए ताकि इसे कभी दौहराया न जाए। आपातकाल के विरूद्ध श्री मोदी की लड़ाई का उल्लेख करते हुए श्री शाह ने कहा कि एक 25 वर्षीय लड़के ने इंदिरा गांधी की तानाशाही का विरोध किया। उसी व्यक्ति ने 2014 में आपातकाल लगाए जाने के कारणों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि वंशवाद की राजनीति इसकी वजह थी। उन्होंने कहा कि तानाशाही के विरूद्ध संघर्ष करने वाला वही युवा आज इस देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत कर रहा है।
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि संविधान हत्या दिवस 1975 में आपातकाल के दौरान तानाशाही और सेंसरशिप के विरूद्ध लड़ने वाले साहसी योद्धाओं को याद करने का एक अवसर है। श्री वैष्णव ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र में हमेशा एक काला अध्याय बना रहेगा। इस अवधि के दौरान नागरिकों को मौलिक अधिकारों से वंचित किया गया और भारतीय लोकतंत्र के सभी चार स्तंभों पर हमला किया गया। इस अवधि के दौरान प्रेस सेंसरशिप का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आलोचना को दबाने और समाचार तथा सूचना को छिपाने के लिए हर संभव कोशिश की।
इससे पहले सोशल मीडिया पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पुस्तक, आपातकाल के वर्षों के दौरान उनकी यात्रा को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब आपातकाल लागू किया गया तब वे युवा आरएसएस प्रचारक थे। श्री मोदी ने कहा कि आपातकाल विरोधी आंदोलन उनके लिए सीखने का एक अनुभव था। उन्होंने कहा कि इससे भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत की पुष्टि हुई और साथ ही, उन्हें सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। श्री मोदी ने आपातकाल के काले दिनों को याद करने वाले सभी लोगों और उस दौरान जिन परिवारों को तकलीफें झेलनी पड़ीं, उनसे सोशल मीडिया पर अपने अनुभव को साझा करने का आग्रह किया। श्री मोदी ने आगे कहा कि इससे युवाओं में 1975 से 1977 तक के शर्मनाक समय के बारे में जागरूकता पैदा होगी।
पांच अध्याय में विभाजित यह पुस्तक दर्शाती है कि आपातकाल ने युवा नरेंद्र मोदी की राज्य सत्ता, राजनीतिक लामबंदी और स्वस्थ विपक्ष की भूमिका की समझ को कैसे प्रभावित किया।