पंजाबी भाषा के प्रख्यात कवि, गद्यकार, अनुवादक और शिक्षाविद् सुरजीत पातर के निधन पर साहित्य अकादमी ने गहरा शोक व्यक्त किया है। आज हुए उनके निधन पर साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने अपने शोक संदेश में कहा कि सुरजीत पातर ने 79 वर्ष के जीवनकाल में अपने लेखन के माध्यम से पंजाबी भाषा और साहित्य को देश-विदेश में प्रतिष्ठा दिलाई। उनका पहला काव्य-संग्रह ‘कोलाज‘ था और पहला गजल संग्रह 1978 में ‘हवा विच लिखे हरफ‘ के नाम से प्रकाशित हुआ। उनकी कविता और गद्य की 10 से अधिक किताबें प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने आठ विश्व प्रसिद्ध काव्य-नाटकों का पंजाबी में रूपांतरण किया।
पद्मश्री से सम्मानित सुरजीत पातर पंजाबी साहित अकादमी, लुधियाना और पंजाब आर्ट्स काउंसिल, चंडीगढ़ के अध्यक्ष भी थे। के. श्रीनिवासराव ने कि सुरजीत पातर के निधन से साहित्य जगत् शोक संतप्त है और उनके जाने से पंजाबी ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारतीय साहित्य की अपूरणीय क्षति हुई है।