विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहमण्यम जयशंकर ने कहा है कि प्रतिभा की वैश्विक मांग बहुत अधिक है और भारत इसे पूरा करने में सक्षम है। नई दिल्ली में आज ग्लोबल एक्सेस टू टैलेंट फ्रॉम इंडिया-गति का शुभारंभ करते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा कि वैश्विक कार्यस्थल और कार्यबल के उभरने तथा विश्वास और लचीलेपन के कारण विदेशों में अवसरों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह जनसांख्यिकीय बदलावों, नई प्रौद्योगिकी की मांग, सांस्कृतिक और कार्य नैतिकता की अनुकूलता से प्रेरित है।
विदेश मंत्री ने बताया कि सरकार ने समकालीन युग में भारत के कार्यबल को अधिक उत्पादक बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण, व्यावसायिक शिक्षा और पेशेवर तैयारी के प्रयासों की एक श्रृंखला शुरू की है। डॉ. जयशंकर ने कहा कि अवसरों की मात्रा इतनी बड़ी है कि इसे पूरी तरह से साकार करने के लिए पूरे देश के दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा प्रयास है, जिसमें प्रत्येक हितधारक का योगदान मूल्यवान और स्वागत योग्य है।
डॉ० जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में लगभग तीन करोड़ 40 लाख भारतीय और भारतीय मूल के व्यक्ति विदेश में रह रहे हैं। इनमें से एक तिहाई खाड़ी देशों में और शेष विकसित अर्थव्यवस्था वाले क्षेत्रों में हैं। उन्होंने कहा कि समुद्री यात्रा, एयरलाइंस और आतिथ्य क्षेत्र जैसे कई वैश्विक व्यवसायों ने पहले ही हमारे मानव संसाधनों का उपयोग किया है।
डॉ० जयशंकर ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया या जर्मनी जैसी अर्थव्यवस्थाओं में पिछले कुछ वर्षों में कामकाजी भारतीयों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। उन्होंने इस बात बल दिया कि कई वैश्विक सेवा क्षेत्र कोविड के बाद की चुनौतियों से जूझ रहे हैं और प्रतिभा की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण दुनिया ने सेमीकंडक्टर और उभरती प्रौद्योगिकी परियोजनाओं में मंदी देखी है, जो भारत जैसे देशों के लिए नए अवसर लाते हैं।