प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हाल की घटनाओं ने साबित कर दिया है कि भारत के खिलाफ तथाकथित छद्म युद्ध वास्तव में एक सुनियोजित युद्ध रणनीति है। गुजरात के गांधीनगर में महात्मा मंदिर में एक जनसभा में उन्होंने कहा कि 6 मई की घटनाओं के बाद, भारत को अब आतंकवादी गतिविधि का प्रमाण प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है। अब यह साक्ष्य सीमा पार से दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मारे गए आतंकवादियों को पाकिस्तान में राजकीय सम्मान दिया गया। उनके ताबूतों पर पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज लपेटा गया और पाकिस्तानी सेना ने उन्हें सलामी दी। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि ये कोई अलग-थलग आतंकवादी कृत्य नहीं हैं, बल्कि एक समन्वित सैन्य रणनीति का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अपने मूल दायरे से परे विस्तार करेगा। यह राष्ट्रीय प्रगति के लिए एक आजीवन प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य पहल नहीं है, बल्कि प्रत्येक भारतीय की साझा की गई जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपनी दैनिक खपत का आकलन कर विदेशी उत्पादों की पहचान करें और उन्हें स्वदेशी विकल्पों के साथ बदलें। उन्होंने घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता देने के महत्व पर बल देते हुए बताया कि धार्मिक त्योहारों के लिए मूर्तियां आयात की जा रही थीं। प्रधानमंत्री ने आर्थिक आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर बल दिया। एक जिला एक उत्पाद स्थानीय विनिर्माण को बढ़ाने और स्वदेशी उद्योगों का समर्थन करने की रणनीति है। प्रधानमंत्री ने लोगों से मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स पर गर्व करने और देश की प्रगति का जश्न मनाने का आग्रह किया। उन्होंने दोहराया कि प्रत्येक भारतीय को राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और इसकी वैश्विक स्थिति को सुनिश्चित करने में योगदान देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने निरंतर प्रगति के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि भारत के लिए चौथी-सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरे तक बढ़ने की महत्वाकांक्षाओं को दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।
श्री मोदी ने कहा कि भारत किसी से दुश्मनी नहीं चाहता है। भारत शांति से रहना चाहता है। उन्होंने कहा कि देश इस तरीके से प्रगति करने की आकांक्षा रखता है जो विश्व के कल्याण में योगदान दे सके। सरकार करोडों भारतीयों के उत्थान के लिए समर्पण के साथ कार्य कर रही है।
पिछली गलत नीतियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने युवा पीढी को राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने वाले ऐतिहासिक फैसलों का अध्ययन करने का आग्रह किया। 1960 की सिंधु जल संधि का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के बांधों की सफाई या गाद नहीं निकालने पर सहमति बनी थी। उन्होंने कहा कि तलछट हटाने के लिए बनाए गए निचले गेटों को बंद रखने का आदेश दिया गया था और दशकों तक ऐसा ही रहा। इसका परिणाम यह हुआ कि पूरी क्षमता से पानी रखने वाले जलाश्य में अब यह घटकर सिर्फ़ दो या तीन प्रतिशत रह गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वाधीनता के सौ वर्ष पूरे होने पर विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इस सपने को साकार करने में प्रत्येक नागरिक को अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि विश्व की तीन सबसे बडी अर्थव्यवस्थाओं में भारत को शामिल करने के लिए टियर-टू और टियर-थ्री शहरों का आर्थिक विकास बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को भारतीय उत्पादों का उपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी नगर के महात्मा मंदिर में पांच हजार पांच सौ छत्तीस करोड की लागत की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और आधारशिला रखी। इन परियोजनाओं में शहरी विकास, बुनियादी ढांचा, जल संसाधन प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवा और राजस्व सेवाओं सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।