वक्फ-संशोधन विधेयक, 2024 लोकसभा में पेश किया जा रहा है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ अधिनियम, 1995 में और संशोधन करने के लिए निचले सदन में विधेयक पेश किया है। विधेयक का उद्देश्य राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों और कामकाज के साथ-साथ वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण से संबंधित मुद्दों का समाधान करना है।
विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), वाम दल और अन्य ने इसे संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया। कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने विधेयक पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि यह कठोर है और देश के संघीय ढांचे पर हमला है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में वक्फ बोर्ड की शासी परिषद में गैर-मुस्लिम को रखने का प्रावधान है जो आस्था और धर्म पर हमला है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक महाराष्ट्र और हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए गलत इरादे से लाया गया है। समाजवादी पार्टी के नेता हबीबुल्लाह ने भी विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि वक्फ एक धार्मिक मामला है और यह विधेयक धार्मिक प्रथा में हस्तक्षेप है। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंधोपाध्याय ने इसे असंवैधानिक बताया और यह संघीय ढांचे के खिलाफ है। डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने भी इस विधेयक का विरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार खुलेआम संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों के खिलाफ जा रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने विधेयक को वापस लेने या आगे की जांच के लिए इसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की। आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर ने भी विधेयक पर सवाल उठाते हुए कहा कि विधेयक में सारी शक्ति जिला मजिस्ट्रेट को दी गई है, जो वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष से अधिक शक्तिशाली होगा। सीपीआई (एम) सांसद के राधाकृष्णन ने भी बिल का विरोध करते हुए इसे स्थाई समिति के पास भेजने की मांग की। आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक न्यायिक जांच के सामने टिक नहीं पाएगा। एआई एमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने इसे भेदभावपूर्ण विधेयक बताया।
दूसरी ओर, जनता दल युनाइटेड के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि यह विधेयक एक विशेष समुदाय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड कानून के जरिए बनी संस्था है और इसमें पारदर्शिता लाने के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड इबादत करने की जगह नहीं है और आस्था के मामले में इसके हस्तक्षेप का आरोप नहीं उठता। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष इस विधेयक को लेकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। श्री सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए दिल्ली में हुए सिख दंगों का जिक्र किया।