136 तीर्थयात्रियों को वायु सेना और राज्य सरकार के हेलीकॉप्टर से निकाला गया, जबकि 509 व्यक्तियों को पैदल मार्ग के जरिए केदारनाथ से लिनचोली लाया गया और वहां से हेलीकॉप्टर से चारधाम और शेरसी हेलीपैड तक भेजा गया। आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि उनके अतिरिक्त 584 व्यक्तियों को सोन प्रयाग के रास्ते गौरीकुंड से लाया गया और 172 लोगों को चौमासी के रास्ते लाया गया। उन्होंने बताया कि अधिकतर तीर्थयात्रियों को सुरक्षित रूप से लिनचोली, भीम बली और गौरीकुंड लाया गया।
पिछले गुरुवार से शुरू हुए बचाव कार्य में अब तक 11,775 से अधिक लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है। केदारनाथ में अब केवल पुजारी, दुकानदार और घोड़े तथा पालकी वाले और लगभग 50 ऐसे तीर्थयात्री बचे हैं, जिन्होंने वहीं रूकने का विकल्प चुना था। सोन प्रयाग, शेरसी, चौमासी, चार धाम और केदारनाथ हेलीपैड पर लाए गए लोगों के लिए खाने-पीने और ठहरने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
31 जुलाई को बादल फटने और भारी वर्षा के कारण केदारनाथ यात्रा मार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया। इनमें लिनचोली, भीमबली, घोड़ा पड़ाव और रामबाड़ा शामिल हैं जहां तीर्थयात्री फंस गए थे। कई जगहों पर भूस्खलन के कारण भी रास्ता क्षतिग्रस्त हुआ है। सेना ने केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर पैदल यात्रा के लिए पुल बनाने का काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा दिव्यांगों, बीमार और बुजुर्ग लोगों को ले जाने के लिए सोनप्रयाग में ट्रॉली भी लगाई गई है।