केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने केंद्र सरकार द्वारा कर्नाटक राज्य को कर के हस्तांतरण के बारे में विपक्ष और कर्नाटक सरकार द्वारा फैलाये जा रहे झूठ की कडी आलोचना की है। बेंगलुरु में आज पत्रकारों से बातचीत में वित्त मंत्री ने यू पी ए और एन डी ए सरकारों के कार्यकाल में कर्नाटक को किए गये आवंटनों की तुलना करते हुए आंकडे जारी किये। श्रीमती सीतारामन ने बताया कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच कर्नाटक को केवल 81 हजार सात सौ 91 करोड रुपये प्राप्त हुए थे, जो एन डी ए सरकार के कार्यकाल के दौरान 2014 से 2024 के बीच बढकर दो लाख 95 हजार आठ सौ 18 करोड रुपये हो गये। यू पी ए सरकार के कार्यकाल के दौरान वार्षिक आवंटन भी आठ हजार एक सौ 79 करोड रुपये से बढकर इस वर्ष 45 हजार चार सौ 85 करोड रुपये हो गया है। इसके अतिरिक्त, यू पी ए सरकार के कार्यकाल के दौरान 60 हजार सात सौ 79 करोड रुपये का सहायता अनुदान एन डी ए सरकार के दौरान बढकर दो लाख 36 हजार नौ सौ 55 करोड रुपये हो गया है। कर्नाटक को बुनियादी ढाचे के लिए दस हजार 41 करोड रुपये, प्रधानमंत्री मित्र वस्त्र पार्क योजना के तहत दो सौ करोड रुपये और स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के अंतर्गत छह हजार चार सौ 28 करोड रुपये प्राप्त हुए हैं। राज्य को इस रेल बजट में सबसे अधिक सात हजार पांच सौ 59 करोड रुपये भी प्राप्त हुए हैं। यह राशि यू पी ए सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल में राज्य को प्राप्त कुल राशि से आठ सौ 35 करोड रुपये अधिक है। वित्त मंत्री ने बताया कि कर्नाटक में 31 रेल परियोजनाएं चल रही है, जिनके तहत 47 हजार 16 करोड रुपये की लागत से तीन हजार आठ सौ 40 किलोमीटर लम्बे रेलमार्ग का दोहरीकरण किया जा रहा है। श्रीमती निर्मला सीतारामन ने कहा कि बेंगलुरु को प्रधानमंत्री आवास योजना, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहन, अनुसंधान और विकास ऋण योजनाओं, रोजगार सृजन प्रोत्साहनों आदि के माध्यम से केंद्रीय बजट से लाभ पहुंचा है।
कर्नाटक राज्य सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जो राज्य पिछले दो वर्षों से अधिक राजस्व अर्जित करने की बात कर रहा था वह अब राजस्व अर्जित नही कर पा रहा है। खुले बाजार से लिये गये ऋण की राशि चिंताजनक रूप से एक लाख करोड रुपये से अधिक हो गयी है। मुद्रास्पीति की दर, जो पिछले दो वर्ष से पांच दशमलव तीन नौ प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से कम थी वह अब पांच दशमलव चार प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत को पार कर छह दशमलव एक प्रतिशत हो गयी है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और दूध की कीमतों में बढोतरी, सपत्ति मूल्य, स्टाम्प ड्यूटी, वाहन पंजीकरण शुल्क वाहनों पर आजीवन कर बढाने से यह वृद्धि हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि राज्य में पूंजीगत खर्च घटा है जिसका असर रोजगार सृजन पर पडेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए दी गयी राशि में धांधली की गयी जिस कारण मंत्री को त्याग पत्र देना पडा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगडी है, जिससे निवेशक राज्य में आने से हतोत्साहित होंगे।