केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 हजार दो सौ अस्सी करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना को मंजूरी दे दी है। अपनी तरह की इस पहली योजना का उददेश्य देश में हर साल छह हजार मीट्रिक टन एकीकृत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट विनिर्माण शुरू करना है। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट सबसे मजबूत तरह के परमानेंट मैग्नेट में से एक हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों, अक्षय ऊर्जा , इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और डिफेंस एप्लीकेशन के लिए बहुत ज़रूरी हैं। उन्होंने कहा कि यह योजना एकीकृत विनिर्माण सुविधा बनाने में मदद करेगी। इसमें रेयर अर्थ ऑक्साइड को धातु में, धातु को मिश्रित धातु में और मिश्रित धातु को फिनिश्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट में बदलना शामिल है।
इलेक्ट्रिक वाहनों, अक्षय ऊर्जा, औदयोगिक अनुप्रयोग और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की तेज़ी से बढ़ती मांग को देखते हुए, देश में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की खपत 2 हजार 30 तक दोगुनी होने की उम्मीद है। अभी, देश में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की मांग मुख्य रूप से आयात से पूरी होती है। इस पहल के साथ, देश अपनी पहली एकीकृत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी बनाएगा। इससे रोज़गार पैदा होगा, आत्मनिर्भरता मज़बूत होगी और 2070 तक नेट ज़ीरो हासिल करने के देश की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाया जाएगा। योजना का कुल समय फैसले की तारीख से सात साल होगा, जिसमें एकीकृत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट विनिर्माण सुविधा बनाने के लिए दो साल का उत्पादन पूर्व तैयारी अवधि शामिल है।
इस योजना में वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से पाँच लाभार्थियों को कुल क्षमता आवंटित करने का प्रावधान है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मंत्रिमंडल ने पुणे मेट्रो रेल परियोजना के दूसरे चरण को भी मंज़ूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि सरकार ने पुणे मेट्रो रेल परियोजना के दूसरे चरण के अंतर्गत लाइन 4 -खराड़ी-हडपसर-स्वरगेट-खड़कवासला और लाइन 4-ए (नल स्टॉप-वारजे-माणिक बाग) को मंज़ूरी दे दी है। श्री वैष्णव ने कहा कि यह परियोजना लगभग नौ हजार आठ सौ सत्तावन करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पाँच वर्षों में पूरी हो जाएगी।
इस नवीनतम स्वीकृति के साथ, पुणे मेट्रो का नेटवर्क 100 किलोमीटर से आगे विस्तारित होगा। यह एक आधुनिक, एकीकृत और टिकाऊ शहरी परिवहन प्रणाली की ओर शहर की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
श्री वैष्णव ने यह भी बताया कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने रेल मंत्रालय की दो परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है, जिनकी कुल लागत दो हजार सात सौ इक्यासी करोड़ रुपये है। देवभूमि द्वारका (ओखा) – कनालुस रेल लाइन को एक हजार चार सौ सत्तावन करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई है, जबकि बदलापुर – कर्जत तीसरी और चौथी लाइन परियोजना को एक हजार तीन सौ चौबीस करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्वीकृति दी गई है। श्री वैष्णव ने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र के चार जिलों को कवर करने वाली ये दोनों परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 224 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। उन्होंने कहा कि कनालुस से ओखा तक रेल लाइन के दोहरीकरण से द्वारकाधीश मंदिर तक कनेक्टिविटी बेहतर हो जाएगी , जिससे प्रमुख तीर्थ स्थलों तक पहुँच आसान होगी और गुजरात में सौराष्ट्र क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा। श्री वैष्णव ने कहा कि बदलापुर-कर्जत खंड मुंबई उपनगरीय गलियारे का हिस्सा है। महाराष्ट्र में तीसरी और चौथी लाइन परियोजना से मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में कनेक्टिविटी बेहतर होगी और यात्रियों की भविष्य की माँगों को पूरा करने के साथ-साथ दक्षिण भारत से भी कनेक्टिविटी स्थापित हो जाएगी।