सरकार ने आगामी जनगणना में जाति गणना भी कराने का फैसला किया है। कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की राजनीतिक कार्यसमिति ने यह निर्णय लिया। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विन वैष्णव ने मीडिया से कहा कि कुछ राज्यों ने जातिगत सर्वेक्षण समुचित रूप से कराया, लेकिन कुछ अन्य राज्यों ने इसे राजनीतिक मंशा से और गैर-पारदर्शी ढंग से कराया है, जिसे लेकर समाज में संदेह की स्थिति बनी। श्री वैष्णव ने कहा कि इन कारणों को ध्यान में रखते हुए और देश के सामाजिक तानेबाने को किसी राजनीति से बचाए रखने के उद्देश्य से सर्वेक्षण के स्थान पर जाति गणना आगामी जनगणना में पारदर्शी तरीके से शामिल की जाएगी। इससे सामाजिक और आर्थिक ढांचा मजबूत होगा और राष्ट्र प्रगति पथ पर आगे बढेगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से स्पष्ट है कि नरेन्द्र मोदी सरकार समाज और देश के हित के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पहले भी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए दस प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया है।
श्री वैष्णव ने कहा कि विपक्षी कांग्रेस शासित सरकारों ने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया। अधिकांश राजनीतिक दलों के आग्रह के बावजूद कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना के स्थान पर केवल सर्वेक्षण कराने का फैसला किया था। श्री वैष्णव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और इसके गठबंधन सहयोगियों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक साधन के रूप में इस्तेमाल किया।