यूनेस्को की 46वीं विश्व धरोहर समिति सत्र का आज नई दिल्ली में समापन

 

प्रसिद्ध स्मारकों को विश्व धरोहर सूची में अंकित करने के लिए यूनेस्को की 46वीं विश्व धरोहर समिति सत्र का आज नई दिल्ली में समापन हुआ। भारत ने इस वर्ष न केवल इस वार्षिक समिति की मेजबानी की, बल्कि इसकी अध्यक्षता भी की। यूनेस्को ने 24 नए ऐतिहासिक स्थलों और दो प्रमुख सीमा संशोधनों को अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल किया। हमारे संवाददाता ने समिति के कामकाज और उन स्थलों के बारे में बताया जिन्हें इस सूची में शामिल होने का सम्मान प्राप्त हुआ, जिसमें असम के मोइदाम भी शामिल थे।

 

राजधानी के भारत मंडपम में 160 से अधिक देशों की भागीदारी के कारण कईं संस्कृतियों का मेल-जोल  देखने को मिला। सत्र की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकनीकी सहायता, संरक्षण और क्षमता निर्माण के लिए यूनेस्को को दस लाख अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। इसके अलावा, कला एवं पर्यटन मंत्री, गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया की ग्लोबल साउथ देशों की विश्व धरोहर सूची में भागीदारी बढ़ाने के लिए, भारत तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।

 

इस सत्र में 24 नए विश्व धरोहर स्थलों में से 19 स्थलों को सांस्कृतिक विरासत स्थलों के रूप में शामिल किया गया है, जबकि 4 को प्राकृतिक श्रेणी के तहत और एक को “मिश्रित” श्रेणी के तहत शामिल किया गया है। असम में स्थित मोइदाम को भारत के 43वे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनने का गौरव प्राप्त हुआ। लगभग सात सौ साल पुराने, मोइदाम ईंट और पत्थर के खोखले तहखाने हैं जिनमे अहोम राजवंश के राजाओं और राजघरानों के अवशेष स्थापित है। मोइदाम, विश्व धरोहर सूची में शामिल उत्तर पूर्व भारत का तीसरा स्थल और पहला सांस्कृतिक स्थल है। इसके शामिल होने के साथ ही , भारत अब सबसे अधिक विश्व धरोहर संपत्तियों के मामले में छठे स्थान पर पहुँच गया है ।

 

आकाशवाणी समाचार से बात करते हुए “स्मारकों और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद” की सदस्य क्रिस्टल बाकलिआ ने कहा कि भारत में उनका अनुभव यादगार रहा और उन्हें भारतीय संस्कृति के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला।

 

11 दिवसीय वैश्विक कार्यक्रम की इस वर्ष समाप्ति के बाद, यूनेस्को दुनिया के प्रमुख स्थलों को अंकित करने के लिए बुल्गारिया में अगले सत्र का आयोजन करेगा।

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