संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की फांसी की सज़ा का विरोध किया

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की फांसी की सज़ा का विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सभी परिस्थितियों में मृत्युदंड के खिलाफ है।

78 वर्षीय राजनेता पर पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसात्‍मक दमन को लेकर मानवता के विरुद्ध कथित अपराधों के लिए ढाका स्थित देश के अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक न्यायाधिकरण में मुकदमा चलाया गया था। ये मुकदमा उनकी अनुपस्थिति में चलाया गया। वह वर्तमान में निर्वासन में रह रही हैं। शेख हसीना के साथ बांग्लादेश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी कल इस मामले में उनकी अनुपस्थिति में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून, जो सरकारी गवाह बन गए थे, को पाँच साल के कारावास की सजा सुनाई गई।

प्रवक्ता ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि मौत की सज़ा एक स्थानीय अदालत द्वारा सुनाई गई थी, जिसमें केवल बांग्लादेशी न्यायाधीश शामिल थे और जिसने खुद को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण कहा था, जिसने उसे मानवता के विरुद्ध अपराधों का दोषी ठहराया। 

 

वहीं एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बंग्‍लादेश की अपदस्‍थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल की फांसी की सजा की निन्‍दा की है। बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पिछले वर्ष हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों से जुड़े मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए उनकी अनुपस्थिति में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्‍हें मौत की सजा सुनाई। एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा कि यह फैसला न्याय की गंभीर विफलता है।

   

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि यह फैसला निष्पक्ष सुनवाई को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा करता है। संगठन ने कहा कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुसार, स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी न्यायिक प्रक्रियाओं की आवश्यकता है, न कि मृत्युदंड की।