संसद ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक-2025 पारित कर दिया है। आज राज्यसभा ने इसे मंजूरी दे दी। लोकसभा पहले ही विधेयक पारित कर चुकी है। विधेयक में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद को एक विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने का प्रावधान है। इसे त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाएगा और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया जाएगा। यह संस्थान सहकारी क्षेत्र में तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करेगा। यह सहकारी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देगा तथा सहकार से समृद्धि की परिकल्पना को साकार करने के लिए वैश्विक उत्कृष्टता के मानक स्थापित करेगा। इसके माध्यम से देश में सहकारी आंदोलन को भी मजबूती मिलेगी।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सहकारिता राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि पिछले साढ़े तीन वर्षों में सरकार ने सहकारी क्षेत्र को नई दिशा देने के लिए कई पहल की हैं। श्री मोहोल ने कहा कि सरकार ने अगले पांच वर्षों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों – पैक्स की संख्या एक लाख से बढ़ाकर तीन लाख करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि 2047 में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को साकार करने में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की प्रमुख भूमिका होगी।
उन्होंने कहा कि देश में आठ लाख सहकारी संस्थाओं से 30 करोड़ से अधिक लोग जुड़े हैं। श्री मोहोल ने कहा कि वर्ष 2013-14 में यूपीए शासन के दौरान सहकारिता के लिए बजट केवल 122 करोड़ रुपये था और नरेंद्र मोदी सरकार में बजट बढ़ाकर एक हजार 190 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश में सहकारिता की भावना को बढ़ावा देगा।
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने सरकार पर सहकारी समितियों का निगमीकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संविधान में प्रावधान है कि हर पांच वर्ष में सहकारी समिति के चुनाव होने चाहिए, लेकिन विभिन्न राज्यों में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां, राज्य सूची में हैं।
भाजपा की इंदु बाला गोस्वामी ने कहा कि देश में आठ लाख सहकारी समितियां हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2025-26 के केंद्रीय बजट में सहकारी क्षेत्र के लिए एक हजार 186 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
आम आदमी पार्टी के अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि देश में आठ लाख से अधिक सहकारी समितियां से 30 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय घोषित करने का प्रावधान है और सरकार ने इसके लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करना स्वागत योग्य कदम है।
बीजू जनता दल के सुभाशीष खुंटिया ने कहा कि यह विधेयक शिक्षा के नाम पर सहकारी संस्थानों को केंद्र सरकार के नियंत्रण में लाने का प्रयास है।
वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी के अयोध्या रामी रेड्डी अल्ला ने कहा कि विधेयक सहकारी क्षेत्र में शिक्षा, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण प्रदान करेगा।
आर.जे.डी. के संजय यादव, भाजपा के नरेश बंसल, द्रमुक सदस्य के.आर.एन. राजेशकुमार और आल इंडिया अन्नाद्रमुक के डॉ एम थंबीदुरई समेत अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।
बाद में सदन की कार्यवाही कल 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।