राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने छात्रों से व्यवहार और कार्यों में नैतिक मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया है। वह आज अपनी दो दिवसीय राजस्थान यात्रा के पहले दिन उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि छात्रों को अपने जीवन में ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे उनका चरित्र खराब हो। उन्होंने कहा कि उच्चतम नैतिक मूल्य उनके व्यवहार और कार्यशैली का हिस्सा होने चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का मानना था कि शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण चरित्र है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उनके जीवन के हर पहलू में ईमानदारी होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी में हर क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। ये बदलाव ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी हो रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि ऐसे समय में उन्हें अपनी शिक्षा की उपयोगिता को बनाए रखने के लिए विद्यार्थी भावना को बनाए रखने की जरूरत है।
श्रीमती मुर्मु ने विद्यार्थियों से व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा एवं सामाजिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन बनाकर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश ने 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखा है। इस राष्ट्रीय लक्ष्य को युवा पीढ़ी के योगदान से ही हासिल किया जा सकता है। श्रीमती मुर्मु ने खुशी जताई कि महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और यह देश और समाज के लिए गर्व की बात है।
कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और राजस्थान के उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा भी शामिल हुए।