प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि पूरी दुनिया विभिन्न वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है। श्री मोदी ने आज शाम नई दिल्ली में जीनोमिक्स डाटा कन्कलेव के लिए एक वीडियो संदेश में कहा कि जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट देश के जैव प्रौद्योगिकी परिदृश्य को परिभाषित करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत को जैव अर्थव्यवस्था आधारित बनाने के लिए 21वीं सदी में जैव प्रौद्योगिकी और जैव ईंधन का समन्वय महत्वपूर्ण आधार है। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्ष में देश की जैव अर्थव्यवस्था दस अरब डॉलर से बढ़कर 150 अरब डॉलर हो गई है।
श्री मोदी ने जीनोम इंडिया डाटा जारी करने की सराहना की तथा इसे अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल के लिए ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न समूहों के दस हजार भारतीयों के जीनोम का विश्लेषण किया गया है और इसके आंकड़े भारतीय जीव विज्ञान डाटा केन्द्र पर उपलब्ध है।
इन आंकड़ों का प्रयोग देशभर में अनुसंधान कर्ता, वैज्ञानिक और विद्वान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीयों की अनुवांशिक विविधता की जानकारी रखना आवश्यक है, क्योंकि इससे आबादी की अनुवांशिक की पहचान निर्धारित होगी और इससे समूह विशेष में उपचार प्रभावी होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस जानकारी से नीति निर्माताओं और नियोजनकर्ताओं को मदद मिलेगी।
श्री मोदी ने कहा कि पिछले दस वर्ष में देश में अनुसंधान और नवाचार पर विशेष ध्यान दिया गया है। भारत ने दुनिया में फार्मा केन्द्र के रूप में एक विशेष पहचान अर्जित की है। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों को निशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है और स्वास्थ्य का बेहतर बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने एक्सचेंज ऑफ डाटा प्रोटोकोल का प्रारूप जारी किया और आई.बी.डी.सी. डाटा एक्सेस पोर्टल का लोकार्पण किया। डॉक्टर सिंह ने कहा कि पिछला दशक भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में परिवर्तनकारी रहा है। उन्होंने बताया कि देश विशेष बीमारियों के संदर्भ में दस लाख जीनोम कार्यक्रम चलाने का लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।