पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर साढ़े चार साल के सैन्य गतिरोध के बाद भारत और चीन के सैनिकों के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सेना के सूत्रों के अनुसार इस महीने के अंत तक सीमा पर गश्त फिर से शुरू हो जाएगी, जो क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
भारत और चीन के बीच हाल ही में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की गश्त के संबंध में सहमति बनी थी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि इस समझौते से सैनिकों के पीछे हटने और अप्रैल 2020 में उत्पन्न हुए तनाव का समाधान हो सकता है।
उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एम.वी. सुचिन्द्र कुमार के अनुसार राजनयिक और सैन्य स्तर पर हुई बातचीत से स्थिति को सामान्य बनाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि यह सहमति समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के माध्यम से हासिल की गई है और इस से दोनों पक्ष प्रमुख क्षेत्रों में पारंपरिक गश्ती और पशुओं की चराई फिर से शुरू कर सकते हैं।
सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया 22 अक्टूबर को शुरू हुई, जिसमें दोनों सेनाओं ने देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में अस्थायी तंबू तथा कुछ संरचनाएं हटा दी हैं। सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इसका दोनों सेनाओं के कमांडरों द्वारा सत्यापन किया जायेगा। इसके बाद क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया जायेगा। योजना के अनुसार महीने के अंत तक दोनों देशों की सेनाएं अप्रैल 2020 की स्थिति के अनुरूप गश्त करना शुरू कर देंगी। दोनों सेनाएं भविष्य में किसी तरह के टकराव से बचने के लिए, संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त करने से पहले एक-दूसरे को इसकी जानकारी देने पर सहमत हुई हैं।